सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
किसी भी व्यक्ति द्वारा पत्रकारिता करना उसका पेशा नहीं, बल्कि यह जनसेवा का माध्यम कहा जा सकता है। यह कथन फिजियोथेरेपिष्ट डॉ राजेश गुप्ता ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहे। डॉ राजेश ने कहा कि सही मायनों में एक पत्रकार के शब्द कलम-स्याही से ना लिखे जाकर उसकी आत्मा की आवाज होते हैं, जो वह अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करवाने के प्रयास करता है। वास्तव में प्रेस किसी भी समाज का आईना होता है और एक अखबार खुद नहीं बोलता, लोगों के माध्यम से बोलता है। इसीलिए तो लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता अनिवार्य भी बन जाती है। उन्होंने प्रेस से जुड़े सभी पत्रकारों से अपील की कि इसकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए निष्पक्ष लिखें, ताकि लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ की गरिमा बनी रहे।
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