सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
अगर हम छोटा मुंह और बड़ी बात का जिक्र करें, तो नरवाना के ढाकल गांव की बेटी सोनाली श्योकंद का नाम लिया जा सकता है। क्योंकि सोनाली श्योकंद में पर्यावरण बचाने के लिए गजब का जुनून भरा हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर 2016 में सरकार जब पर्यावरण बचाने के लिए किसानों को पराली ना जलाने के लिए प्रेरित कर रही थी, यहां तक कि पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना भी लगा रही थी। उस समय सोनाली दसवीं क्लास में पढ़ रही थी। सोनाली ने सरकार द्वारा चलाये जा रहे अभियान से प्रोत्साहित होकर अपने गांव में चाचा ताऊ किसानों को पराली ना जलाने की बात कही। लेकिन एक छोटी बच्ची की बात को दूसरे किसान कहां तव्वजो देने वाले थे। फिर अपनी बात को मनवाने के लिए सोनाली ने अपने पिता शमशेर को भी रोका, लेकिन वह दूसरे किसानों की नकल करते हुए पराली जला रहे थे। सोनाली ने इस पर आपत्ति की और अपने पिताजी को कहा कि उनकी शिकायत प्रशासन को करेगी। पिता ने सोचा की बच्ची है तो शिकायत क्या करेगी। उसके बाद एक दिन जब वह स्कूल से घर आई तो अपने खेत में पिताजी को पराली जलाते हुए पाया, तो अगले दिन उसने कृषि विभाग में जाकर पिता की ही शिकायत कर उन पर जुर्माना लगवा दिया। सुनने वाले हैरान कि लड़की ने अपने ही पिता पर जुर्माना लगवा दिया। हालांकि उनके इस काम के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा उन्हें 11 हजार की राशि से सम्मानित भी किया। इससे उसका हौसला बढ़ा और लोगों को समझाने के लिए अपना अभियान छेड़ दिया। लोगों ने बेशक उसकी बात को तव्वजो ना दी हो, लेकिन उसने अपने पिताजी को धान बोने की 3 एकड़ जमीन में पौधे लगाने के लिए बाध्य कर दिया। सोनाली ने बताया कि माना कि वह दूसरे किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकी हो, लेकिन अपने तीन एकड़ खेत को तो पराली तथा फसल अवशेष जलाने से वंचित कर ही दिया है।
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