सत्य खबर, नई दिल्ली
कोर्ट ने 2016 में एक 16 साल की लड़की का पीछा करने (Stalking) के आरोपी शख्स को बरी कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाथ पकड़ने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की एक भी घटना IPC के तहत पीछा करने के अपराध की पुष्टि के लिए पर्याप्त नहीं है. पीठ ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उस व्यक्ति ने बार-बार उसका पीछा करने या उससे संपर्क करने की कोशिश की थी. आरोपी द्वारा पीड़िता के साथ बात करने, उसे अपने साथ आइसक्रीम या खाने के लिए आमंत्रित करने, उसके बारे में अपनी भावना व्यक्त करने की पहली कोशिश और उसे शादी के लिए प्रस्ताव देना IPC की धारा 354(D) के तहत अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
विशेष न्यायाधीश कल्पना के. पाटिल ने कहा कि उस अपराध को साबित करने के लिए यह साबित करने की जरूरत है कि उसने बार-बार लड़की का पीछा किया या संपर्क करने की कोशिश की. पेशे से टेंपो चालक 33 वर्षीय शख्स पर धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया था. पड़ोस में रहने के कारण लड़की उसे बचपन से जानती थी.
अदालत के समक्ष दिये बयान में लड़की ने बताया था कि वह कॉलेज जा रही थी और वह व्यक्ति पीछे से आया और उसका हाथ पकड़ कर कहा कि वह उसे कॉलेज छोड़ सकता है. लड़की ने उसे यह कहते हुए मना कर दिया कि वह खुद जाएगी, क्योंकि उसका कॉलेज पास में है. लड़की ने शख्स के साथ आइसक्रीम या खाना खाने के लिए जाने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया. उसने आगे कहा कि वह सुंदर है और उसने उससे शादी करने की इच्छा व्यक्त की जिसे उसने मना कर दिया.
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