सत्य खबर, नई दिल्ली
पाकिस्तान सरकार ने सभी चैनलों को अनिवार्य रूप से रात नौ बजे बुलेटिन प्रसारित करने से पहले देश का नया राजनीतिक नक्शा दिखाने को कहा है। पाकिस्तानी न्यूज चैनलों के लिए यह अधिसूचना पाकिस्तान इलेक्ट्रानिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (PEMRA) ने तीन नवंबर को जारी की है। जिसमें कहा गया है कि सभी समाचार चैनल (सरकारी, निजी) उस नक्शे को दिखाएंगे जिसे पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री इमरान खान ने जारी किया था। पेमरा पाकिस्तान की मीडिया अथॉरिटी है।
नया राजनीतिक नक्शा रोजाना न्यूज बुलेटिन से पहले दो सेकेंड के लिए प्रदर्शित करना होगा। अधिसूचना में कहा गया है “लाइसेंसधारी सभी सैटेलाइट टीवी चैनलों (न्यूज और करंट अफेयर्स/ क्षेत्रीय भाषा) के लिए इस नियम का पालन करना अनिवार्य है।
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान आजकल इसी नक्शे को प्रचारित कर रहा है और इसके जरिए वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर अपनी छटपटाहट दिखा रहा है। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि रोजाना न्यूज चैनलों पर गलत नक्शा दिखाए जाने से आम पाकिस्तानी अवाम के दिलो-दिमाग पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। पाकिस्तान यह सब अपने नागरिकों के ब्रेन वॉश के लिए भी कर सकता है जो भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है।
क्या है ‘विवादित’ नक्शा
पिछले साल चार अगस्त को इमरान खान ने पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ही नहीं, बल्कि गुजरात के जूनागढ़ को भी पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। सर क्रीक में भारत के साथ पाकिस्तान के विवाद के बाद भी इमरान खान इस इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर लिया है। भारत ने पाकिस्तान के इस नक्शे पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से जारी पॉलिटिकल मैप को देखा। उनके इन हास्यास्पद दावों की न तो कानूनी वैधता है और न ही अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह केवल सीमा पार आतंक की सहायता से क्षेत्रीय विस्तार की पाकिस्तान की सनक की वास्तविकता की पुष्टि करता है।
नक्शा में स्पष्ट रूप से कश्मीर को “विवादित क्षेत्र” कहा गया है। साथ ही यह भी जोड़ा गया है कि अंतिम स्थिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के अनुरूप तय की जाएगी। जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने वाले अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त 2019 को रद्द किए जाने के एक साल पूरा होने पर पाकिस्तान ने यह विवादित नक्शा जारी किया था।
प्रधान मंत्री इमरान खान ने इस विवादित नक्शे को एक समारोह में पेश करते हुए कहा था कि नक्शा राष्ट्रीय आकांक्षा को दर्शाता है और कश्मीर विवाद पर सैद्धांतिक रुख का समर्थन करता है। सरकार की ओर से कहा गया कि संघीय कैबिनेट से अनुमोदित होने के बाद अब यह देश का “आधिकारिक नक्शा” होगा। पाकिस्तान सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में भी इस नक्शे का उपयोग करने के लिए कहा था।
एससीओ में भी दिखाया था विवादित नक्शा
पाकिस्तान ने 15 सितंबर 2020 को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी अपना यह विवादित नक्शा दिखाया था। जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि एससीओ के सदस्यों ने भारत की आपत्ति खारिज कर दी जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैठक बीच में ही छोड़ने का फैसला किया था।
बाद में विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि एससीओ की बैठक में पाकिस्तान ने जानबूझ कर काल्पनिक नक्शा पेश किया जिस पर भारत ने विरोध जताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसा करके पाकिस्तान ने एससीओ की बैठक के नियमों का उल्लंघन किया है।
नेपाल भी यही कर चुका है
भारत के साथ सीमा विवाद के बाद नेपाल ने भी ऐसा ही किया था। लिपुलेख,कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना बताते हुए नेपाल सरकार ने अपने देश का नया नक्शा जारी तो किया ही नक्शे को संसद में पारित करा लिया।
झूठा और नकली राष्ट्रवाद’ पैदा करने की कोशिश
विदेश मामलों के जानकार और इमेज इंडिया इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष रॉबिन्दर सचदेव का कहना है प्रोपेगेंडा करना पाकिस्तान ने चीन से सीखा है। इस मामले में ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान ने अपने ही नागरिकों के खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया है और नागरिकों का ब्रेन वॉश करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
वे मानते हैं कि जिस नक्शे पर भारत को आपत्ति है उस नक्शे को न्यूज चैनलों पर दिखाए जाने का निर्देश देकर इमरान खान अपने देश में ‘झूठा और नकली राष्ट्रवाद’ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यदि कोई झूठी बात रोज प्रसारित होने लगे तो वह बात पाकिस्तानियों के दिमाग में छप जाएगी, जो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात हो सकती है। इस तरह इमरान खान अपने नेतृत्व को सही साबित करने और यह जताने भी कोशिश कर रहे हैं कि इससे पहले किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया है। यह इमरान खान का अगला चुनाव जीतने का पैंतरा भी हो सकता है।
सचदेव मानते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर वैश्विक मंचों पर अपनी बात सच साबित करना चाहता है और वैश्विक आबादी को प्रभावित करना चाहता है लिहाजा भारत को इस पर सख्त लहजे में अपना विरोध जताना चाहिए।
भारत संयुक्त राष्ट्र से करे दखल देने की मांग
वहीं पाकिस्तान मामलों के जानकार एक वरिष्ठ पत्रकार की राय यह है कि जिस तरह राष्ट्रगान लोगों में देशभक्ति की भावना भर देता है, उसी तरह यदि यह विवादित नक्शा जिसमें वे कश्मीर और लद्दाख समेत कई प्रांतों को अपना बता रहे हैं, रोजाना टीवी पर दिखाया जाने लगा, तो यह भी वहां के लोगों में भारतीय हिस्से वाले क्षेत्रों को अपना समझने की मजबूत धारणा विकसित कर सकता है। इससे इमरान खान ‘मनोवैज्ञानिक बढ़त’ हासिल कर सकते हैं, इसलिए भारत को तुरंत इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र को इसमें दखल देने की मांग करनी चाहिए।
पहले भी विवादों में रहा है पेमरा
इससे पहले भी पेमरा पर न्यूज चैनलों के खिलाफ कई आदेशों के जरिए सख्त नीति अपनाने के लिए दबाव डालने का आरोप लगता रहा है। 2019 में पेमरा ने अपनी एक अधिसूचना में एंकरों को टाक शो के दौरान अपनी राय देने से रोक दिया था और उनकी भूमिका सीमित कर दी गई थी।
एंकर्स को यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि वे अपने शो में आमंत्रित मेहमानों का चयन उचित तरीके से करें। पेमरा के इस निर्देश के खिलाफ 11 टीवी एंकरों ने लाहौर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसके बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। पत्रकारों का कहना था कि यह निर्देश देश के संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है, जो प्रत्येक पाकिस्तानी नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
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