सत्य खबर पानीपत
कैसे मॉडर्न होगा भारत, इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए पानीपत की बेटी दीपशिखा जैन भारत के ही नहीं, दुनियाभर के कई शहरों पर रिसर्च कर रही हैं। अभी तक परिणाम निकलकर आया कि अगर सभी साधन एक जगह मिल जाएं, अगर निजी ट्रांसपोर्ट की जरूरत ही न पड़े तो काफी समस्याओं का समाधान हो सकता है। लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। अहमदाबाद जैसे शहर ने ऐसा करके भी दिखा दिया है। पानीपत के खन्ना रोड निवासी आर्किटेक्ट दीपशिखा जैन मॉर्डन भारत के निर्माण के लिए ट्रांजिट ओरिएंटिड डवलपमेंट पर रिसर्च कर रही हैं। इसके लिए उन्हें इंडो-एशियन यंग आर्किटेक्ट अवार्ड इन आर्किटेक्चर एंड प्लानिग और रिसर्च एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। भारत में ट्रैफिक व्यवस्था बहुत बड़ी समस्या है। इसके साथ वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रतिवर्ष करोड़ों लोगों को बीमार बनाने के साथ उनकी जान ले रहा है। शहरों की सड़कें वाहनों से ठसी रहती हैं। इन सब परेशानी से निजात पाने के लिए विदेशों में ट्रांजिट ओरिएंटिड डवलपमेंट किए जा रहे हैं। जिनका उद्देश्य लोगों को कम से कम मोटर चालित वाहनों का इस्तेमाल कराना है। लोगों को ऐसी व्यवस्था प्रदान करनी है कि उन्हें अपने घर, काम की जगह, स्कूल, खरीदारी और अस्पताल आदि के लिए अधिक दूरी तय न करनी पड़े।
एसोसिएटस प्रोफेसर हैं दीपशिखा खन्ना रोड की दीपशिखा जैन आर्किटेक्ट हैं और वर्तमान में सोनीपत स्थित हिदू कालेज में आर्किटेक्चर की एसोसिएटस प्रोफेसर हैं। वह 2016 से ट्रांजिट ओरिएंटिड डवलपमेंट पर रिसर्च कर रही हैं। इसके साथ दीपशिखा के प्रोजेक्ट इंटरनेशनल जरनल ऑफ इंजिनियरिग एंड एडवांस टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ ऑर्किटेक्चर बिल्ड एंवायरमेंट एंड अर्बन प्लानिग जैसे जरनल में प्रकाशित हो चुके हैं।
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बचपन में आकर्षित करती थीं ऊंची-ऊंची बिल्डिग
दीपशिखा के पिता स्वर्गीय चंगदीशचंद जैन इंडियन नेवी में ऑफिसर थे। जिस कारण कक्षा नौ तक दीपशिखा अपने परिवार के साथ मुंबई, गोवा और मद्रास जैसे बड़े शहरों में रहीं। वहां की ऊंची-ऊंची बिल्डिग दीपशिखा को आकर्षित करती थी। परिवार का कोई भी सदस्य आर्किटेक्चर न होने के बावजूद दीपशिखा ने इस क्षेत्र को चुना और मॉर्डन भारत का सपना देखा। जिसे पूरा करने के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रही हैं।
भारत में बीस वर्ष पहले आया कांसेप्ट
दीपशिखा का कहना है कि ट्रांजिट ओरिएंटिड डेवलपमेंट सिस्टम भारत में बीस वर्ष पहले आया है। अहमदाबाद में यह प्रयोग सफल रहा है। उन्होंने वहां जाकर लोगों से बात की है। वहां लोग काफी खुश हैं। अपने आसपास ही उन्हें स्कूल, कालेज, अस्पताल जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। अगर दुनिया की बात करें तो सिगापुर इसका उदाहरण है। अमेरिका के कई शहरों में ये सिस्टम लागू है। 2016 में गुजरात के अहमदाबाद में लागू हुआ। यहां हो रही तैयारी
कड़कड़डूमा, त्रिलोकपुरी, नया रायपुर, बेंगलुरु, मुंबई, भोपाल, फरीदाबाद, गुरुग्राम में इस कांसेप्ट पर काम चल रहा है। दरअसल स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट ही यही है कि कम से कम वाहनों का इस्तेमाल हो।
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