सत्य खबर:रोहतक
नेशनल हाईवे नंबर-9 पर किसानों के जत्थे ने जिला की सीमा में आधी रात के बाद करीब डेढ़ बजे प्रवेश किया। पुलिस ने काफिले को रोकने के लिए महम शुगर मिल के समीप नाकाबंदी की। लेकिन किसानों को रोक नहीं सके। पुलिस ने वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया, लेकिन सर्दी व पानी की परवाह किए बिना किसानों ने नाके तोड़कर दिल्ली की तरफ कूच कर दिया। किसानों के तेवरों को देखते हुए पुलिस ने सभी जगह से नाके हटाकर किसानों के वाहनों को जाने दिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सैकड़ों किसानों के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर दिल्ली पहुंचे और किसानों आंदोलन को अपना समर्थन दिया। उधर, आमजन को भी दिल्ली व चंडीगढ़ आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। डिपो से रोडवेज बसें भी चंडीगढ़ व दिल्ली रुट पर 40 फीसद ही रवाना हो सकी।
हिसार की तरफ से किसानों का सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियों का काफिला वीरवार देर रात करीब डेढ़ बजे के समीप महम शुगर मिल के समीप पहुंचा। पुलिस ने वहां पर भारी पत्थरों के साथ नाकाबंदी कर रखी थी। किसानों ने पत्थरों को हटाना शुरू किया। पुलिस ने उनको रोका, लेकिन किसान नहीं माने। प्रशासन ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया ताकि पानी से भीगने व सर्दी के डर से किसान पीछे हट सके। लेकिन किसानों नाके को तोड़ दिया और दिल्ली के तरफ रवाना हो गए। किसानों के काफिले को रोहद टोल प्लाजा के समीप भी रोका, लेकिन वहां से भी किसान आगे बढ़ गए। पुलिस किसानों के साथ ज्यादा झड़प करने से बचती दिखी। महम के निर्दलीय विधायक कुंडू ट्रैक्टर लेकर पहुंचे दिल्ली
महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी किसानों को समर्थन देने के लिए कार्यकर्ताओं व किसानों के साथ दिल्ली रवाना हुए। जींद रोड स्थित अपने फार्म हाउस में पहले किसानों के साथ बैठक की और इसके बाद खुद ट्रैक्टर चलाकर दिल्ली कूच किया। रोहद टोल प्लाजा पर जेसीबी से अवरोधकों को हटाया। इस दौरान पुलिस के साथ उनका आमना-सामना भी हो गया। दिल्ली में प्रवेश करने से पहले बहादुरगढ में भी फिर से पुलिस के साथ झड़प हुई।
बलराज कुंडू ने कहा कि वे पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ हैं। उनके हकलों की लड़ाई के लिए कर्मयोगी किसान के साथ 24 घंटे खड़ा रहूंगा। उन्होंने केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया कि किसानों के साथ हठधर्मिता का रवैया छोड़कर बातचीत कर तुरंत मसले का हल निकाले। अन्नदाता का रास्ता खाली कर उसका दु:ख दर्द सुने तथा किसानों की एमएसपी कानून की मांग को स्वीकार करे। ये लड़ाई कोई राजनीतिक नहीं बल्कि किसान और उसके बच्चों के भविष्य और पेट की लड़ाई है। सभी राजनीतिक दलों को भी पार्टीबाजी से ऊपर उठकर अन्नदाता का साथ देना चाहिए।
दिल्ली और चंडीगढ़ रूट पर नहीं चली 60 फीसद रोडवेज बसें
रोडवेज डिपो रोहतक से रोजाना चंडीगढ़ के लिए 14 और दिल्ली के लिए 22 बसें रवाना होती है। लेकिन किसान आंदोलन और नाकाबंदी के चलते करीब 40 फीसद बसें ही रवाना हो गई। जो बसें रवाना हुई थी, उनको भी काफी देर जाम में फंसा रहना पड़ा। इसे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। रोडवेज डिपो के महाप्रबंधक जोगेंद्र रावल ने बताया कि एहतियातन तौर पर कम ही बसें रवाना की गई थी। वैसे भी अन्य दिनों की अपेक्षा यात्रियों की संख्या भी कम ही डिपो में पहुंची।
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नौकरीपेशा व कारोबारी भी हुए आंदोलन से प्रभावित
दिल्ली व चंडीगढ़ रूट पर नौकरीपेशा व कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक तो पब्लिक ट्रांसपोर्टकी पर्याप्त सुविधा नहीं मिली। दूसरा निजी वाहनों से भी लोगों ने जाने में परहेज किया। पुलिस की नाकाबंदी और किसानों के काफिलों के चलते टकराव की संभावना के चलते घर से बाहर निकलने के लिए उनको सोच-विचार करना पड़ा। काफी लोगों ने अपने परिचितों से मोबाइल पर ही जानकारी जुटाई। सांपला में पुलिस ने रूट भी डायवर्ट करना पड़ा।
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