सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर के राजकीय पीजी कॉलेज में हुई विभिन्न भर्तियों के मामले में धांधली का मामला फिर से गर्मा गया है। एक तरफ जहां भर्तियों में धांधलेबाजी को लेकर उच्चतर शिक्षा निदेशालय तात्कालीन प्राचार्य हंसराज के खिलाफ चार्जशीट जारी कर रहा है तो वहीं अब गलत साबित हो चुकी नियुक्तियों में तैनात कर्मचारियों का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद फिर से उनका कार्यकाल आगे बढ़ाने के आरोप लगाए गए हैं।
इस संबंध में असंध (करनाल) के विनोद कुमार ने एक शिकायत सीएम विंडों व उच्चतर शिक्षा निदेशालय को भेजी है। शिकायत में विनोद कुमार का कहना है कि राजकीय महाविद्यालय सफीदों द्वारा 29 मार्च 2018 को अनुबंध के आधार पर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। यह अनुबंध 11 अप्रैल 2018 से 10 अप्रैल 2019 तक एक वर्ष का था लेकिन इन पदों पर महाविद्यालय कर्मचारियों के सगे संबंधियों के लगे होने के कारण वर्तमान प्राचार्य ने उन्हें 5 दिन तक पदों से हटाकर किसी समाचार पत्र में भर्ती का विज्ञापन दिए बिना उन्ही कर्मचारियों को दोबारा रख लिया, जोकि नियमों की सरासर उल्लंघना है।
शिकायतकर्ता विनोद कुमार ने हरियाणा सरकार व उच्चतर शिक्षा विभाग से इन भर्तियों को रद्द करके दोबारा समाचार पत्र में भर्ती का विज्ञापन देकर भर्तियां करने व प्राचार्य के खिलाफ उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है। बता दें कि 2018 में हुई इन भर्तियों को लेकर सीएम विंडों के अलावा अनेक स्थानों पर कई शिकायतें हुईं थी। प्राचार्य पर आरोप था कि उसने भर्ती के संबंधित रिक्त पदों की शैक्षिक योग्यता व मेरिट के नियमों को नजरअंदाज करते हुए अपने चहेतों को भर्ती किया जिसमें कई तरह के नियमों की उल्लंघन की गई।
इस मामले की जांच उपायुक्त द्वारा अगस्त 2018 में सफीदों के तत्कालीन एसडीएम को भी सौंपी गई थी जिन्होंने जांच करके प्राचार्य को दोषी पाया गया था। इन शिकायतों के संबंध में जांच के उपरांत जारी एक्शन टेकन रिपोर्ट में निदेशालय के अधीक्षक (प्रशासन) में सपष्ट किया गया है कि आरोपी प्राचार्य हंसराज के विरुद्ध आरोप पत्र जारी करने व उसके विरुद्ध अन्य आवश्यक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि आरोपी प्राचार्य हंसराज 30 अप्रैल 2018 को सेवानिवृत्त हो चुका है जिसने सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले इस कॉलेज में डीसी रेट पर गैर शिक्षक स्टाफ की कई भर्तियां की थी।
हटाई गई एक महिला कर्मचारी ने भी दी शिकायत
वहीं चपरासी पद से हटाई गई एक महिला कर्मचारी अनिता ने भी इन भर्तियों में धांधली होने की बात कही है। उसने अपनी शिकायत में कहा है कि 1 जनवरी 2016 में हरियाणा सरकार की आउटसोर्स पॉलिसी भाग-1 में उसने चपरासी पद पर कार्य ग्रहण किया था तथा 11 अप्रैल 2018 को आउटसोर्स पॉलिसी भाग-2 में अन्य कर्मचारी साथ नियुक्त किया गया था। सरकार द्वारा नियमित गु्रप डी के उम्मीदवार के ज्वाईन करने पर उसे चपरासी पद पर ही तैनात अन्य कर्मचारी सुदेश की बड़ी उम्र का हवाला देकर उसे नौकरी से हटा दिया गया।
अनिता ने कहा कि नियुक्ति के समय वह दसवीं पास थी लेकिन चपरासी पद पर कार्यरत्त सुदेश नियुक्ति ने दर्शाई गई आठवीं कक्षा की अंक तालिका व अन्य दस्तावेज फर्जी है और यह सब सूचना के आधार पर प्राप्त की गई सूचनाओं में सामने आया है। सुदेश द्वारा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान का दसवीं का सर्टिफिकेट दिया गया है, उसमें भी गोलमाल है क्योंकि जिस दिनांक को सर्टिफिकेट में दिखाए गए विषयों की परीक्षा थी उन दिनों में सुदेश महाविद्यालय में ड्यूटी पर हाजिर थी।
अनीता का कहना है कि सरकार के नियमानुसार नियुक्ति के समय दिए जाने वाले प्रमाण पत्रों की वेरिफिकेशन करवाना संस्था के मुखिया व कालेज प्रबंधन के जिम्मेदार पदों पर बैठे कर्मचारियों की जिम्मेवारी है जो उस समय नहीं करवाई गई। इससे स्पष्ट होता है कि सारा कार्य मिलीभगत से हुआ है।
क्या कहते हैं प्राचार्य
इस मामले में प्राचार्य डा. रजनीश बहल ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि इस मामले में नियुक्त कर्मचारियों को 15 दिन का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब आने के बाद ही कोई कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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