सत्यख़बर डेस्क
शक्ति उपासना का पर्व चैत्रीय नवरात्र आज से शुरू हो रही है। इसके अलावा मराठी नूतन वर्ष, गुडी पाड़वा, सिंधियों का नया साल, चेटी चंद भी आज के पावन दिन पर शुरू होते है । इस दिन को सृष्टि का आरंभ दिवस भी कहा जाता है,क्योंकि आज ही के दिन ब्रह्माजी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
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हिंदू धर्मग्रंथों में आसो, महा, चैत्र, आषाढ़ जैसे चार नवरात्रों की महिमा गाई गई है। जिसमें शक्ति उपासना के लिए बसंत में आती चैत्र की नवरात्र और पतझड़ में आती आसो नवरात्र को अधिक फलदायी माना जाता है । चैत्रीय नवरात्र में भी देवी शक्ति की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों में माता शक्ति की पूजा के लिए नवरात्र को बहुत फलदायी माना जाता है। आदि काल से नवरात्र में शक्ति आराधना की विशेष महिमा का वर्णन किया गया है। शक्ति आराधना सामान्य दिनों की तुलना में नवरात्र में कई गुना अधिक फल देती है। आज का दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित है।
ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र सुद एकम के शुभ दिन पर ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी। एक पौराणिक कथा के अनुसार इस पवित्र दिन पर भगवान राम का राजतिलक हुआ था। चैत्र सुद एकम को गुडी पाड़वा के रूप में भी मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर या बाल्कनी के बाहर एक लकड़े की झंडी जिसे गुड़ी कहते है वह लगाई जाती है। इसे साड़ी पहनाई जाती है और फूलों की माला से सजाया जाता है। एक उलटा कलश या एक चांदी का लोटा सबसे ऊपर रखा जाता है। गुड़ी की पूरे विधि विधानसे पूजा भी की जाती है।
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