सत्य खबर
मानेसर जमीन घोटाले में मुख्यर आरोपित हुड्डा ने सीबीआई पर गंभीर सवाल उठाए। उनके वकील ने पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में हुड्डा की ओर से बहस की। इन दलीलों में उन्होंरने भूपेंद्र हुड्डा की सरकार के तत्कालीन उद्योग मंत्री को मामले में आरोपित ना बनाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि, अगर हुड्डा ने फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए, तो उससे पहले फाइल उद्योग मंत्री के पास से होकर आई है। ऐसे में सिर्फ हुड्डा को आरोपित बनाना, राजनितिक षड्यंत्र है।
हुड्डा ने वकील के माध्यमम से कोर्ट में कहा कि बीजेपी सरकार में सीएम मनोहर लाल और बीजेपी नेताओं ने बयान दिए थे कि मुझे जमीन घोटालों में जेल भेजेंगे, जिसके बाद मुझ पर केस बनाया गया। इस पर सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि जिस उद्योग मंत्री या अन्य लोगों के खिलाफ ट्रायल के दौरान जो सबूत कोर्ट में आएंगे और आरोपित याचिका देंगे, तो उन्हें आरोपित बना लेंगे।
ये मामला गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर गांवों में किसानों से जमीन खरीदने से संबंधित है। घोटाले में सीबीआइईके विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह द्वारा हरियाणा के गृह सचिव राजीव अरोड़ा समेत चार अन्य को आरोपित बनाकर समन देने के मामले में विस्तृत आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि इस मामले में कुछ लोगों को टारगेट किया गया और कुछ को छोड़ दिया गया।
न्यायाधीश ने हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य सचिव राजीव अरोड़ा समेत अन्य चार आरोपितों को जांच में आरोपित ना बनाए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने कुछ लोगों की भूमिका पर आंखें बंद कर लीं। जांच एजेंसी हमेशा सभी संवेदनशील मामलों में उच्च स्तरीय लोगों से ऊपर रहती है। आम आदमी के विश्वास को कायम रखने के लिए ऐसे उदाहरणों की अनुमति नहीं दी जा सकती। कुछ जांच अधिकारियों की कलंकित जांच के कारण सीबीआई को छवि को खराब नहीं किया जा सकता।
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कोर्ट ने कहा है कि, इस तरह के उदाहरण जांच एजेंसी के लिए पिंजरे में बंद तोते के उदाहरण लाने के लिए पर्याप्त हैं। सीबीआइ द्वारा इस मामले में एचएसआइआइडीसी के तत्कालीन प्रबंध महानिदेशक राजीव अरोड़ा (वर्तमान में गृह एवं स्वास्थ्य सचिव), चीफ टाउन प्लानर टाउन एंड कंट्री विभाग सुरजीत सिंह, एचएसआइआइडीसी के तत्कालीन सीटीपी धारे सिंह, तत्कालीन उप अधीक्षक कुलवंत लांबा, तत्कालीन निदेशक उद्योग और वाणिज्य डीआर ढींगरा को समन करके 17 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।
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