गुरुग्राम, सत्यखबर, सुनिल कुमार
फर्जी कागजात के आधार पर रजिस्ट्री किए जाने के मामले की जांच सहायक पुलिस आयुक्त (सिटी) राजेंद्र कुमार करेंगे। इस बारे में बृहस्पतिवार को जिम्मेदारी तय कर दी गई। जांच से साफ होगा कि जिस जमीन का अधिग्रहण सरकार द्वारा किया जा चुका है, उसकी रजिस्ट्री कैसे कर दी गई? मामले से साफ है कि या तो रजिस्ट्री करने से पहले कागजों की बारीकी से जांच नहीं की जाती है या फिर मिलीभगत का मामला है।
इस मामले ने एक बार फिर रजिस्ट्री के साथ ही इंतकाल दर्ज किए जाने की चर्चा को गर्म कर दिया है। रजिस्ट्री के साथ ही इंतकाल दर्ज नहीं किए जाने से ही सारा गड़बड़झाला होता है।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार की अदालत के आदेश पर दो साल पहले जिले में तैनात रहे जिला राजस्व अधिकारी सहित सात अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत सेक्टर-10ए थाने में मामला दर्ज किया गया है। शिकायत के मुताबिक गांव साढ़राणा निवासी अनिता देवी से रेवाड़ी जिले के गांव उषमापुर निवासी पम्मी देवी ने 9 नवंबर 2017 को 106 गज जमीन खरीदी थी। रजिस्ट्री कराने के कुछ समय बाद जब वह इंतकाल दर्ज कराने के लिए पहुंचीं तो पता चला कि गांव गढ़ी हरसरू की जो जमीन उन्होंने खरीदी है उसे वर्ष 2016 के दौरान ही हरियाणा सरकार अधिगृहीत कर चुकी है।
मामला सामने आने पर गढ़ी हरसरू तहसील में तैनात कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्जशीट की गई थी लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने लिए पम्मी देवी ने जिला अदालत में याचिका दायर कर दी। इस पर अदालत ने आदेश जारी कर दिया। आदेशानुसार तत्कालीन जिला राजस्व अधिकारी विजय यादव के साथ ही गढ़ी हरसरू तहसील के तत्कालीन नायब तहसीलदार ओमप्रकाश, नायब तहसीलदार प्रकाशवीर, रजिस्ट्रेशन क्लर्क देवेंद्र सिंह, कपिल कुमार एवं हल्का पटवारी सुरेंद्र के साथ ही पुलिस महकमे में कार्यरत सब इंस्पेक्टर सतपाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
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