सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान):-
पर्यावरण रक्षिका अवार्डी व गांव ढाकल निवासी सोनाली श्योकंद ने कहा कि पांच जून विश्व पर्यावरण दिवस है। माना कि पर्यावरण के बगैर तो हमारा कोई दिन हो ही नहीं सकता, लेकिन इस दिन को यदि हैप्पी एनवायरमेंट डे बोलना पड़े, तो मुझे नहीं लगता अभी हम उस स्थिति में हैं कि पर्यावरण की हालत देखकर उसकी बधाई दे सकें। फिर भी हमें अपने किसी भी योगदान को कम नहीं आंकना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि इस छोटे से कार्य से क्या फर्क पड़ेगा। क्योंकि एक उठा हुआ छोटा-सा कदम एक दिन बड़ा बदलाव बन जाता है। इसलिए इस पर्यावरण दिवस पर सभी से अपील करती हूं कि अपने आप में, खुद के लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए थोड़ा बदलाव लाएं। प्लास्टिक से दूर रहें, फसलों के अवशेष ना जलाए, अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें। किसान अपने खेतों में फसलों के अवशेष जला देते हैं, जो कि बहुत ही हानिकारक है। इतना ही नहीं, इन अवशेषों के साथ-साथ कई बार हरे-भरे पेड़ भी जल जाते हैं। इसके लिए नासमझ किसान ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि हमारा सिस्टम भी जिम्मेदार है। क्योंकि सिस्टम की निष्क्रियता ना तो व्यवस्था को अच्छी तरह सम्भाल पाती और ना ही किसानों को जागरूक कर पाई है।
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