सत्य खबर
किसानों के लिए तैयार किए जाने वाले अच्छे बीज की पैदावार के नाम बड़ा फर्जीवाड़ा की खबर सामने आई है। बता दें कि हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचएसडीसी), हरियाणा सीड सर्टिफिकेशन एजेंसी के साथ कुछ अन्य सरकारी व प्राइवेट एजेंसियों भी जांच के दायरे में आ गई हैं। क्योंकि एचएसडीसी की ओर से ही कराई गई जांच में कई एजेंसियों पर शक की सुई घूमी है।
वहीं सरकार की ओर से बीज तैयार कराने के लिए चलाए जा रहे सीड्स प्रोसेसिंग प्रोग्राम के नाम पर करोड़ों रुपए का खेल हो रहा है। जिन लोगों के पास जमीन नहीं है या कम है, वे भी सैकड़ो एकड़ जमीन के नाम यह प्रोग्राम ले रहे हैं। क्योंकि बीज तैयार होने के बाद एमएसपी के साथ उसे प्रति क्विंटल 400 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
सूत्रों के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद एचसीडीसी के एमडी एवं करनाल कमिश्नर संजीव वर्मा की ओर से दो टीमों का गठन कर कराई गई जांच में आरोप लगा है कि कॉर्पोरेशन के ही एक वर्तमान व एक पूर्व डायरेक्टर ने भी यह फर्जीवाड़ा किया है। प्राथमिक रिपोर्ट में इनसे रिकवरी करने और क्रिमिनल केस बनाने की सिफारिश की गई है। अब मामले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो करेगा। बीज तैयार करने के नाम पर करोड़ों रुपए का यह खेल 1992 से चल रहा है। इसलिए विजिलेंस अब 29 वर्षों की जांच करेगी। इस खेल से न केवल सरकार को ही करोड़ो रुपए की चपत लगाई है, बल्कि उन किसानों के साथ भी धोखा किया गया, जिन्हें अच्छे बीज के नाम घटिया बीज दे दिया गया। किसान बनकर कुछ बिजनेसमैन, व्यापारी, अधिकारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल बताए गए हैं।
एचएसडीसी व कृभको, इफको समेत सरकारी एजेंसियां करीब 8 लाख क्विंटल गेहूं का सर्टिफाइड बीज तैयार कराती हैं। बीज तैयार करने वाले को गेहूं की एमएसपी के साथ 400 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यानि एमएसपी के अलावा ही उन्हें 32 करोड़ रुपए मिलते हैं। एचएसडीसी को 3 लाख क्विंटल बीज तैयार कराना था, लेकिन इस बार 2 लाख क्विंटल बीज तैयार करने के लिए ही लोग आए हैं। यानि एक लाख क्विंटल घट गया। ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि एक लाख क्विंटल का कहीं फर्जीवाड़ा ताे नहीं हो रहा था।
जो लोग जिस एजेंसी से प्रोग्राम लेते हैं, उसे मौके पर जाकर उसकी जमीन की वेरिफाई करनी होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि एजेंसी के अफसरों व कर्मियों ने गड़बड़ी क्यों नहीं पकड़ी। डेढ़ माह में बीज तैयार करना होता है। जिसकी प्रमाणिकता हरियाणा सीड वेरीफिकेशन एजेंसी करती है। उसे भी मौके पर जाकर देखना होता है। उसने भी कभी संदेह जाहिर नहीं किया।एचएसडीसी के डायरेक्टर महेंद्र सिंह हिसार के गांव ठस्का के रहने वाले हैं। इनके पास बहुत कम जमीन है। आरोप है कि इन्होंने बीज तैयार करने के लिए 60 एकड़ का प्रोग्राम लिया। जमीन गिलाखेड़ा में दिखाई गई। इन्होंने एचएसडीसी के अलावा अपनी पत्नी व बेटे के नाम कृभको व आईएफएफडीसी से भी प्रोग्राम लिया।
टीम ने जब पता किया तो सामने आया कि इनके पास गांव में 9-10 एकड़ जमीन ही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महेंद्र सिंह व उनके परिजनों पर 15,75,586 रुपए की रिकवरी बनती है। एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्व डायरेक्टर प्रवेश वोहरा ने खुद व परिवार के अन्य सदस्यों के नाम रबी सीजन 2020-21 में 315 एकड़ जमीन के लिए बीज तैयार करने का प्रोग्राम लिया, जबकि इनके पास 65 एकड़ जमीन है। आरोप है कि इन्होंने एनएससी व अन्य प्राइवेट एजेंसियों से भी प्रोग्राम ले लिया। वोहरा व उनके परिजनों की तरफ 4 लाख 61 हजार 734 रुपए की रिकवरी रिपोर्ट में बताई गई है।
व्यापारियों ने ब्लैक को व्हाइट मनी बनाने का जरिया बनाया
- कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि किसानों की बजाए व्यापारियों ने इस ब्लैक को व्हाइट मनी बनाने का जरिया बना लिया है। बीज दूसरे प्रदेशों से लेकर आ रहे हैं। वह भी बीज कम सामान्य फसल ज्यादा है।
- लोग एचएसडीसी से प्रोग्राम लेते हैं। उसी जमीन पर दूसरी एजेंसियों और प्राइवेट एजेंसियों से प्रोग्राम लिया जा रहा है। यानि एक ही जमीन पर अलग-अलग जगह लाभ लिया जा रहा है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए। क्योंकि इस मामले मे एमएसपी का मिसयूज करके मनीलॉड्रिंग की जा रही है।
- जांच में कहा गया है कि अनेक लोग यह फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, जिसमें एचएसडीसी व हरियाणा सीड सर्टिफिकेशन एजेंसी के अधिकारियो-कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
स्कीम किसानों के लिए है, जांच होगी
कुछ लोगों के पास जमीन न होने या कम होने पर 200-300 एकड़ तक बीज बनाने का प्रोग्राम लेने का मामला सामने आया था। इसमें गड़बड़ी की संभावना है। इसलिए विजिलेंस जांच की सीएम से सिफारिश की थी। यदि किसी अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत है तो वह भी जांच में सामने आ जाएगी। यह स्कीम किसानों के लिए है।
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ऐसे हो रहा बीज में फ्रॉड
एचएसडीसी गेहूं का 3 लाख क्विंटल बीज तैयारी कराता है। जबकि अन्य सरकारी एजेंसी आईएफएफ, कृभको, एनएससी, हैफेड, एचएलआरडीसी आदि 5 लाख क्विंटल बीज तैयारी कराती हैं। इसके अलावा 200 से 250 प्राइवेट यूनिट्स हैं जो 25-27 लाख क्विंटल बीज तैयार कराती है। यानि कुल मिलाकर 33 से 35 लाख क्विंटल बीज तैयार होता है। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि प्रदेश में 24 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई होती है। उसमें 50 फीसदी किसान बीज नहीं लेते यानि अपना पुराना ही लगाते हैं। ऐसे में इतनी मात्रा में बीज तैयार करने में संभावना है कि फ्रॉड किया जा रहा है।
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