एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने निर्माता अनुराग कश्यप के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली एक्ट्रेस पायल घोष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है। इसमें पायल पर 1 करोड़ 10 लाख का दावा ठोका गया है। ऋचा ने आरोप लगाया है कि एक टीवी इंटरव्यू में पायल ने उन्हें झूठे मामले में घसीटा और उनके नाम को अपमानजनक ढंग से पेश किया। पहले इस पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन पायल घोष की ओर से कोई भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ, जिसके बाद अदालत ने आज (7अक्टूबर) के लिए मामले को टाल दिया है।
आज दोनों पक्षों की ओर से दस्तावेज अदालत में जमा किए जाएंगे। पायल घोष के अलावा ऋचा ने फिल्म समीक्षक कमाल आर खान और एक न्यूज चैनल को भी इसमें पार्टी बनाया है। जस्टिस अनिल के मेनन की सिंगल बेंच इस अर्जी सुनवाई कर रही है। ऋचा ने वरिष्ठ वकील वीरेंद्र तुलजापुरकर के माध्यम से यह याचिका अदालत में दायर करवाई है। मामले को लेकर सभी पक्षकारों को ईमेल के माध्यम से जवाब दाखिल करने का नोटिस दिया गया है।
पायल ने ऐसे रिया का नाम इस केस में घसीटा था:
रिचा ने याचिका में कहा है कि उन्हें एक तीसरे व्यक्ति के खिलाफ दावों में घसीटा गया है। उन पर लगे आरोप झूठे हैं। पायल ने अपने इंटरव्यू में दावा किया था कि अनुराग ने उन्हें बताया था कि रिचा, माही गिल, हुमा कुरैशी जैसे कलाकारों उन पर सेक्सुअल फेवर किया था और अनुराग को पायल से भी यही उम्मीद है।
पायल घोष ने कहा-यह मैंने नहीं अनुराग कश्यप ने कहा था:
रिचा के कानूनी नोटिस के बारे में बोलते हुए पायल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि यह मेरा कहना नहीं था, ये सब अनुराग कश्यप ने मुझे बताया था। मैंने वह कहा जो अनुराग ने मुझे बताया था। मैं उन लड़कियों को नहीं जानती। फिर मैं उनका नाम क्यों लेने लगी। वे कौन हैं? मेरी तरफ से किसी के नाम का कोई सवाल नहीं है। रिचा को अनुराग से पूछना चाहिए कि उसने उनका नाम क्यों लिया था?
https://youtu.be/F9XZOHoxRS4
ऋचा के वकील ने जारी किया था ऑफिशियल स्टेटमेंट:
इससे पहले ऋचा चड्ढा की ओर से उनकी वकील सवीना बेदी सचर ने आधिकारिक स्टेटमेंट जारी किया था। इसमें उन्होंने लिखा था- हमारी क्लाइंट ऋचा चड्ढा हाल ही में किसी तीसरे पक्ष द्वारा उठाए गए विवाद और आरोपों में अपमानजनक तरीके से अपना नाम घसीटे जाने की निंदा करती हैं।हालांकि, हमारी क्लाइंट का मानना है कि महिलाओं को हर कीमत पर न्याय मिलना चाहिए। ऐसे कानून हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि महिलाएं काम की जगह पर समान रूप से खड़ी हों और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि यह एक सौहार्दपूर्ण कार्यस्थल हो, जहां उनकी गरिमा और स्वाभिमान सुरक्षित रहे।किसी भी महिला द्वारा उसकी आजादी का इस्तेमाल दूसरी महिलाओं के खिलाफ निराधार, गैर-वजूद, झूठे और आधारहीन आरोप लगाने के लिए नहीं किया जा सकता। हमारी क्लाइंट ने कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनके हित में कानूनी अधिकारों और उपचारों पर सलाह ली जाएगी।”
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