युवाओं को पर्यावरण व आध्यात्म से जोडऩा होगा: बहन स्नेहलता
सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सफीदों द्वारा जन्माष्टमी पर बनाई गई झांकियां विशेष आर्कषण का केंद्र रही। श्रद्धालुओं की अच्छी खासी तादाद इन झांकियों को देखने के लिए पहुंची क्योंकि ये सभी झांकियां समाज को कहीं ना कहीं एक विशेष प्रदान कर रही थी। कार्यक्रम में श्रीकृष्ण जन्म से लेकर उनकी लीलाओं की अनेक झांकियां प्रस्तुत की गई लेकिन लोगों का सबसे अधिक ध्यान पर्यावरण को लेकर प्रदर्शित की गई झांकी ने खींचा। इस झांकी के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज बहनें लोगों को पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने के प्रति जागरूक कर रहीं थीं। प्रदर्शनी में पर्यावरण को मत करना नष्ट वरना सांस तक लेने में होगा कष्ट, यदि दुनिया को बचाना है तो सब को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने है, कहते हैं यह वेद पुराण एक वृक्ष 10 पुत्र समान व चलो इस धरती को रहने योग्य बनाएं सभी मिलकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जैसे अनेक स्लोग्र लिखे हुए थे।
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प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सफीदों सैंटर प्रमुख बहन स्नेहलता ने कहा कि बिगड़ता पर्यावरण और युवाओं में पाश्चात्य संस्कृति का प्रवेश दोनों ही चिंता का विषय है। इसलिए बिगड़ते पर्यावरण को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे तथा पाश्चात्य संस्कृति से युवाओं को बचाने के लिए उन्हे आध्यात्म से जोडऩा होगा। हम सब का दायित्व है कि हम पर्यावरण के सरंक्षण के प्रति जागरूक हो। अगर यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हमें सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। सृष्टि के चक्र को सफलतापूर्वक संचालन में पेड़-पौधों का बड़ा योगदान है। पेड़-पौधों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कोरोना महामारी के दौरान स्थिति यह भी हो गई थी कि सांसे भी हमें मोल खरीदनी पड़ी। अगर पर्याप्त पेड़-पौधे होते तो हमें यह दिन देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधो का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक दोनों महत्म्व है।
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