सत्यखबर, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन के साथ-साथ नेताओं के इधर से उधर जाने का सिलसिला जारी है। चुनावी यात्राएं निकाली जा रही हैं तो जनसभाओं के जरिए वोटर्स को अपने पक्ष में करने की कोशिश हो रही है। इस बीच भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने ऐलान करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा भीम आर्मी चीफ ने मायावती की बसपा से भी गठबंधन की इच्छा जताई। मैं योगी को जीतने नहीं दूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए’ चंद्रशेखर आजाद ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा, ”मैंने फैसला किया है कि मैं यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा। मैं योगी को जीतने नहीं दूंगा चाहे कुछ भी हो जाए। मैं बाकी विपक्षी दलों से भी अपील करूंगा कि योगी के खिलाफ मेरा समर्थन करें।” चंद्रशेखर ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने पिछले साढ़े चार साल में जनता को परेशान किया है।
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चंद्रशेखर ने बसपा के साथ गठबंधन की जताई इच्छा भीम आर्मी चीफ ने कहा, ”मैं चाहता हूं कि हमारा गठबंधन मायावती की बीएसपी के साथ हो। हम नहीं चाहते हैं कि बहुजन वोट बंट जाएं। मैंने लोकसभा में कहा था कि मोदीजी के खिलाफ लड़ूंगा, लेकिन तब मेरा दल नहीं था। मुझे पता है कि बहन जी मुझे पसंद नहीं करतीं। हमें हर हाल में बीजेपी को यूपी में रोकना होगा।”
सिर्फ चुनाव के समय लोगों के बीच जाना राजनीति नहीं’
यूपी में हमारा पहला चुनाव है। हमारा संगठन मजबूत हो चुका है। 403 विधानसभा पर हमारी बूथ कमेटी तैयार हो चुकी है। हम जनता के मुद्दों पर काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सिर्फ चुनाव के समय लोगों के बीच जाना राजनीति नहीं होती। मेरे हिसाब से पूरे पांच साल उनकी जिम्मेदारी लेना, जिसने आपको वोट दिया। सीएम योगी ने कहा था- आखिरी फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है बता दें, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि वो आगामी विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए। वैसे आखिरी फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है। योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद वो 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी गोरखपुर से लोकसभा के लिए चुने गए।
2017 में बड़ी चुनावी जीत के बाद बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। उस समय योगी गोरखपुर से लोकसभा सांसद थे। शपथ लेने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधानसभा के किसी भी सदन की सदस्यता लेनी थी। ऐसे में उन्होंने विधान परिषद का सदस्य बनने का रास्ता चुना था। हालांकि, इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं। वहीं, कुछ दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर यह साफ किया कि अगला चुनाव भी पार्टी योगी के चेहरे पर लड़ेगी।
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