सत्य खबर, दिल्ली
कन्हैया लाल हो या उमेश कोल्हे की बर्बर हत्या या फिर कमलेश तिवारी की मौत ….. सभी को गला रेत कर मारा गया। …लोग पूछ रहे है कि वो कौन सी तालीम है कि जिसमे सिर्फ एक बयान का समर्थन करना ही मौत का कारण बन जाता है। उदयपुर और अमरावती की घटना के बाद देश की जनता अब ये सवाल पूछने लगी है क्या इन सब के पीछे मदरसों में दी जा रही नफरती शिक्षा है। जहाँ ईशनिंदा के बदले सर तन से जुदा पढ़ाया जा रहा है।
नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन पर उदयपुर में जो कुछ हुआ , उसके घाव सूखे भी नही थे कि महाराष्ट्र के अमरावती से एक और वीभत्स घटना का खुलासा हो गया। अमरावती में एक केमिस्ट की भी इसलिए हत्या की गई, क्योंकि उसने नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था। हैरत की बात है कि उमेश कोल्हे नामक केमिस्ट की हत्या में उसका दोस्त शामिल था। ये जघन्य हत्या उदयपुर की घटना से भी पहले हो चुकी थी। लेकिन इसका पता कई दिनों बाद चला। क्योंकि जब ये घटना हुई तो महाराष्ट्र का सारा निज़ाम मुंबई से वाया गुवाहाटी तक सरकार सरकार खेल रहा था। सत्ता की चाह में सियासी हुक्मरान इतने लालची हो गए है कि इनके जेहन में जनता बस्ती ही नही है। लेकिन जो सवाल आज परेशान करता है कि क्या हम उस दौर में पहुच गए है …. जहा सोचना पड़ रहा है कि दूसरी कौम के व्यक्ति को अपना दोस्त भी बनाये या नही।
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इस दिशा में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहहम्मद खान ने मुस्लिम युवाओं में पनप रही ऐसी सोच के पीछे मदरसों की शिक्षा को माना है। मदरसों की शिक्षा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि यहां बच्चों को ईशनिंदा करने वालो का गला काटने की शिक्षा दी जा रही है। और ये शिक्षा बड़ी ही छोटी उम्र से दी जा रही है। खान साहब ने ने ऐसी शिक्षा पर रोक लगाने के लिए सरकारों को आगे आने के लिए कहा है। आरिफ मोहहम्मद खान ने बड़ी ही बेबाकी से अपनी बात को रखते हुए कहा कि सर तन से जुदा करने के इरादों के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा। उन्होंने माना कि ऐसी सोच की नर्सरी कोई और नही बल्कि मदरसा ही है। जिन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
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