हरियाणा

महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से राजनेताओं का परिवार सब पर भारी

विरासत सौंपने को तैयार है कई सियासी धुरंधर, आखिर कब तक चलेगी यह परिपाटी?

सत्यखबर, सतनाली मंडी (मुन्ना लाम्बा)- क्या हमारी राजनीति इन्हीं परिवारों तक सिमट रही है? 35 वर्षों से तो महेंद्रगढ़ विधानसभा चुनाव की तस्वीर तो यहीं दास्तां कहती है। इनके परिवारों के नए सदस्य भी चुनावों में आ गए हैं। यह लोकतंत्र नहीं है बल्कि राजाशाही का नया रूप है। इन सब में वर्षों से पार्टियों की सेवा कर रहे लोग उपेक्षित हो गए हैं। यह आप पर निर्भर है कि ऐसा कब तक चलेगा?

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देश की राजनीति अब कुछ परिवारों तक ही सीमित नहीं रह गई है। यह फेहरिस्त चुनाव दर चुनाव सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। महेंद्रगढ़ में अब तक हुए विधानसभा चुनावों में यही तस्वीर देखी गईं हैं। अटकलों के अनुसार 2019 में विधानसभा चुनावी घमासान की शुरूआती तस्वीर देखें तो बड़ी संख्या में राजनैतिक परिवारों की नई पीढ़ी पहली बार मैदानों में आई दिखाई देंगी। अधिकतर ये वो लोग हैं, जो राजनैतिक दलों में जनाधार वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर परिवार के राजनीतिक रसूखों के बल पर चुनावों में उतर रहे हैं। यानी 2019 के विधानसभा चुनाव मैं और मेरा परिवार की मानसिकता को बढ़ाता दिखाई दे रहा है। ऐसा नहीं की यह मानसिकता क्षेत्रीय दलों तक ही सीमित है बल्कि कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दल भी इसे पोषित करने में लगे हैं।

महेंद्रगढ़ की राजनीति की धूरी बने दो बड़े राजनेताओं के परिवारों का वर्चस्व रहा है। प्रो. रामबिलाश शर्मा और राव दान सिंह स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों को महेंद्रगढ़ विधानसभा के टिकट दिलवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाते प्रतीत हो रहे हैं। वहीं देखा जाए तो केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव भी पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। वर्षों से इस सीट पर इन परिवारों का कब्जा रहा है। ऐसा नहीं है कि विधनसभा क्षेत्र में इन नेताओं के अलावा कोई अन्य कार्यकर्ता ही नहीं या फिर कोई इस सीट से चुनाव लडऩे में सक्ष्म नहीं है। अनेकों पार्टियों के कार्यकर्ता इस सीट से चुनाव लडऩे के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और अबकि विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता मैदान में उतरकर महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर चुनाव को रोचक तथा दिलचस्प बनाने वाले हैं। अब देखना यह होगा कि यह चुनावी ऊंट मैदान में पहली बार उतरने वाले कार्यकर्ता की ओर झुकता है या हमेशा की तरह इन राजनेताओं की ओर ही लुटकेगा।

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