सत्य खबर
2014 में रादौर से भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने श्याम सिंह राणा इनेलो में शामिल हो गए। वे 2019 में रादौर से टिकट न दिए जाने से काफी खफा थे। नाराजगी के साथ ही वे पार्टी में बने रहे कि उन्हें कोई पद मिल सकता है लेकिन उनकी अनदेखी चलती रही। जिसके बाद शनिवार को पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा इनेलो में शामिल हो गए। इससे पहले ही वे भाजपा के सभी पद व कार्य भार से इस्तीफा दे चुके थे।
अब भाजपा ने दो दिन पहले प्रदेश के विभिन्न बोर्ड और निगम के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन घोषित कर दिए। जबकि समर्थकों को आशा थी कि उन्हें बोर्ड व निगम की चेयरमैनशिप देकर उनकी वापसी होगी। लेकिन इसमें भी श्याम सिंह का नाम नहीं था। जिसके बाद पूर्व विधायक ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए इनेलो का चश्मा पहन लिया।
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वे शनिवार को यमुनानगर से पूर्व विधायक रहे दिलबाग के साथ चंडीगढ़ सेक्टर-9 स्थित इनेलो प्रदेश महासचिव व ऐलनाबाद विधायक अभय सिंह चौटाला के घर पहुंचे। यहां पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने फूलों की माला पहनाकर उनका स्वागत किया। चंडीगढ़ जाने से पहले श्याम सिंह राणा पत्रकारों से रूबरू हुए और भाजपा को जमकर कोसा।
इस दौरान श्याम सिंह ने पार्टी छोड़ने का कारण किसानों की हालत और कृषि बिल बताया। जबकि पार्टी सूत्र उनकी नाराजगी टिकट न मिलना और फिर पार्टी में कोई सम्मान न दिया जाना बता रहे हैं। पत्रकारवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। दोनों दलों ने अपनी सरकारों में कृषि संबंधी बिलों का समर्थन किया था।
सत्ता से बाहर रहते हुए दोनों दल इसका विरोध करते हैं और सत्ता में आने पर इसका समर्थन करते हैं। कांग्रेस व भाजपा दोनों दल आपस में मिलकर किसानों को गुमराह कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। लेकिन चौधरी देवी की इनेलो पार्टी हमेशा से किसानों, मजदूरों, दुकानदारों व व्यापारियों के हितों की लड़ाई लडती आ रही है। जिसमें उन्होंने अपना विश्वास व्यक्त किया है। वह पार्टी से जुड़कर किसानों, मजदूरों, दुकानदारों व आम जनता की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा देश व प्रदेश में कृषि कानून थोपकर किसानों को बर्बाद कर रही है। भाजपा पूंजीपतियों की पार्टी बन गई है।
श्याम सिंह राणा 13 वर्षों तक भाजपा में रहे। 7 जून 2007 को उन्होंने कुरुक्षेत्र में पार्टी का दामन थामा था। किसान होने के कारण उनकी पकड़ देखते हुए भाजपा ने रादौर से उन्हें उतारा। 2009 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और उन्होंने 13750 मत प्राप्त किए। 2014 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने इनेलो के राजकुमार बुबका को हराकर 67800 मत प्राप्त किए थे। 2009 में यहां से अब के कांग्रेस विधायक बिशनलाल सैनी इनेलो से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे। इसके बाद 2019 बीएल सैनी कांग्रेस की टिकट पर जीते। जबकि भाजपा ने श्याम सिंह की टिकट काट दी थी और यहां से मंत्री रह चुके कर्णदेव कांबोज को उतारा था।
वर्तमान हालातों में श्याम सिंह राणा को इनेलो से टिकट और पार्टी में प्रदेश स्तरीय पद मिलना तय है। 2019 विधानसभा चुनाव और दुष्यंत चौटाला के अलग होने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में पार्टी श्याम सिंह पर दांव खेलेगी।
वहीं पार्टी संगठन के लिए भी इनेलो श्याम सिंह को आगे लाएगी। चूंकि 2019 में भाजपा भी 2014 के मुकाबले औंहदे मुंह गिरी है। ऐसे में पार्टी में सेंध लगाने के लिए श्याम सिंह बिल्कुल सही चेहरा है। डेढ़ महीने से वे पूर्व विधायक दिलबाग सिंह और अभय सिंह चौटाला के संपर्क में थे।
जिसके बाद 30 सितंबर को उन्होंने भाजपा से अलविदा बोल दिया था। सूत्रों की माने तो श्याम सिंह जहां इनेलो के संपर्क में थे, वहीं भाजपा नेताओं से टच में रहे। चूंकि उन्हें आशा थी कि बोर्ड व निगम में उन्हें शामिल किया जा सकता है। ऐसा न होने पर वे तुरंत इनेलो में शामिल हो गए।
2009 में यमुनानगर के विधायक रहे दिलबाग सिंह जिले में इनेलो के सबसे मजबूत नेता हैं और पार्टी में भी बड़ा कद रखते हैं। श्याम सिंह राणा को इनेलो में लाने वाले दिलबाग सिंह ही हैं। 2019 में उन्होंने भाजपा विधायक घनश्याम अरोड़ा को कांटे की टक्कर दी थी। उनकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी हार का अंतर बहुत ही कम मत रहे। अब श्याम सिंह के आने के बाद यमुनानगर और रादौर में इनेलो की स्थिति मजबूत हो गई है।
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