सत्य खबर
किसान आंदोलन जैसे- जैसे आगे बढ़ रहा है, किसानों का विरोध प्रदर्शन करने का तरीका भी बदल रहा है। शनिवार को दो किसानों ने अनूठा विरोध प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। अबोहर फाजिल्का के किसान काबल सिंह ने खुद को लोहे की बेड़ियों में जकड़ लिया और संकल्प लिया कि जब तक सरकार तीनों कानून वापस नही लेगी, वह लोहे की बेड़ियां नही खोलेगा। इसी प्रकार मोगा के किसान राजेंद्र सिंह ने अपने खून से पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है।
किसान राजेंद्र सिंह ने कहा कि यदि पीएम को किसान का खून चाहिए कि पंजाब व हरियाणा के किसान अपने शरीर का एक- एक बूंद खून पीएम को दान कर देंगे, लेकिन इसके बदले में पीएम को किसानों के खिलाफ बनाए गए तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। पंजाब से पहुंचे युवाओं ने अपने हाथ व छाती पर आईलव खेती, हम किसान है आंतकवादी नहीं और नो फारमर नो फूड के टैटू बनवाकर विरोध प्रदर्शन किया। पंजाब के युवा किसान भी अपने अलग अंदाज में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के लुधियाना से फ्री टैटू बनवाने वाले आए हुए हैं। यहां युवा किसान अपनी छाती व हाथों पर किसान आंदोलन के स्लोगन लिखवा रहे हैं।
मोगा के किसान राजेंद्र सिंह ने अपने खून से पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। राजेंद्र सिंह ने खुद को मीडिया से दूर रखा। वह अपना फोटो तक सार्वजनिक नहीं करना चाहता। राजेंद्र सिंह ने भास्कर को बताया कि यह लड़ाई फसल के लिए नहीं बल्कि आने वाली नस्लों के भविष्य के लिए है। उसने पीएम को अपने खून से जो पत्र लिखा उसमें कहा कि यदि सरकार को किसानों का खून चूसना है तो किसान स्वयं की इच्छा से अपना खून देने को तैयार हैं। सरकार को किसान के मन की बात सुननी चाहिए। अड़ानी व अंबानी किसान को बर्बाद कर देंगे। हमारा प्यारा भारत फिर से गुलाम हो जाएगा।
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अबोहर फाजिल्का के रूकनपूरा से आए किसान काबल सिंह ने खुद को लोहे की बेडियों में बांध लिया है। शनिवार को जब वह धरना स्थल पर पहुंचा तो उसकी आंखों में पानी था। पलकें गीली थी और भावुक मन से आने- जाने वाले किसानों को किसान एकता जिंदाबाद के नारे बुलवा रहा था। किसान काबल सिंह ने कहा कि वह 5 एकड़ का जमीदार था। खेती करते- करते लाखों का कर्जवान बन गया। इसलिए दो एकड़ जमीन बेचनी पड़ी। अब उसके पास तीन एकड़ जमीन है। सरकार ने ऐसे काले कानून बना दिए हैं कि उसे तीन एकड़ जमीन भी बेचनी पड़ेगी। काबल सिंह ने संकल्प लिया है कि जब तक तीनों कानून वापस नही होंगे, वह लोहे की बेड़ियों में ही रहेगा।
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