सत्य खबर, कमल कांत शर्मा, नूँह
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में फंसे भारतीय छात्रो को वहां से निकालने के भारत सरकार का प्रयास लगातार जारी है, इसी बीच सोमवार को भी यूक्रेन में फंसे सेकड़ो भारतीय छात्र अपने वतन सुरक्षित वापस लौटे, जिनमे भाजपा के वरिष्ठ नेता चौ0 जाहिद हुसैन चेयरमैन नूहं के दो बच्चे बेटी रुहाना परवीन व् बेटा आवेज़ हुसैन भी सोमवार को सही सलामत अपने मुल्क पहुँचे, जो यूक्रेन से रोमानिया होते हुए इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा के गेट न. 5 पर पहुँचे, जहाँ बच्चो को दोहपर 12:00 बजे उनके पिता जाहिद हुसैन, भाई हकमुद्दीन, बरकत अली, मुसर्रत, सद्दाम सहित परिवार के अन्य सदस्यों ने रिसीव किया, दिल्ली एअरपोर्ट से लगभग शाम 3:00 बजे बच्चे अपने परिवार के साथ नूहं स्थित अपने आवास पर पहुँचे, जिनसे मिलने के लिए उनके चाहने वालो, यार-दोस्त, रिश्तेदारों व् क्षेत्रवासीयों का ताँता लगा रहा |
नूहं के भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र पटेल ने घर पहुँचकर बच्चो की संघर्ष भरी यात्रा के बारे में जानकारी ली, और बताया कि मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए लगातार कार्य कर रही है, उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने बच्चो की जल्दी वतन वापसी के लिए अपने चार मंत्री भी अलग अलग बॉर्डर पर भेजे हुए है, जो इस दिशा में लगातार कार्य कर रहे है|
गौरतलब है कि ये दोनों बच्चे यूक्रेन के मेडिकल हब कहे जाने वाले खारकीव शहर में स्थित खारकीव यूनिवर्सिटी में पहले वर्ष के छात्र थे, जो तक़रीबन ढाई महीने पहले ही एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए इंडिया से यूक्रेन गये थे|
आवेज़ हुसैन ने कहा कि यूक्रेन के हालात बहुत खराब है इस वक्त वहां पर कोई भी सुरक्षित नहीं है, आवेज हुसैन ने बताया कि 24 फरवरी को वहां हमले की खबर मिली थी, जिसके बाद लगातार स्थिति बिगडती गई, हमे यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के बस्मेंट में वक्त गुजरना पड़ा, हम हॉस्टल में लगभग 800 छात्र थे और सभी बस्मेंट में जिंदगी और मौत के बिच लड़ रहे थे, शहर बंद पड़ा था, चारो तरफ सन्नाटा था, खाने पिने के लिए भी कुछ नहीं मिल रहा था, जो कुछ हॉस्टल की केन्टीन में मोजूद था, मनेजमेंट टीम के सदस्य वही थोडा थोडा करके खाने के लिए दे रहे थे, मनो सिर्फ हम जीने के लिए खा रहे थे,
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उसके बाद वहां के हालात ज्यादा ख़राब हुए तो भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी की, खारकीव अब सुरक्षित नहीं है इसलिए भारतीय छात्र यहाँ से तुरंत निकले, हम लगभग 800 छात्र हास्टल से रेल स्टेशन की तरफ चल दिए, जैसे तैसे हम रेल स्टेशन पर पहुँचे जहाँ किसी भी छात्र को ट्रेन में नहीं बैठने दिया गया, उसके बाद वहां गोलाबारी शुरू हो गई और धडाधड बम्ब खिरने लगे, हमने बताया कि हम भारतीय है तो वहां की आर्मी ने हमे स्टेशन के निचे बंकर में छिपने को कहा, कुछ घन्टे हमने बंकर में बिताए, उसके बाद हम सबने हिम्मत करके वहां से निकलने का फैसला लिया और हम लगभग 20 किलोमीटर की दुरी पैदल तय करके खारकीव से बहार दूसरी जगह पहुँचे, जहाँ पर खाने की तो कोई व्यवस्था नहीं थी लेकिन हमारे यूनिवर्सिटी के स्टाफ ने वहां आराम करने व् सोने की व्यवस्था कर रखी थी, वहां दो दिन रहने के बाद बसों के मालिको द्वारा मनमाना किराया वसूला गया और कई बसों से हम एक हजार किलोमीटर से जायदा सफर तय करके टर्नोपिल पहुँचे और वहां से लगभग 220 किलोमीटर दूर दो दिन बाद रोमानिया बॉर्डर पहुँचे, जहाँ भारत सरकार द्वारा भेजे गये केन्द्रीय मंत्री व् भारतीय दूतावास के द्वारा छात्रो के लिए बेहतर सुविधाए उपलब्ध करवाई गई थी, जहाँ पर खाने की कोई कमी नहीं थी, वहां एक रात रुकने के बाद हमे रोमानिया के एअरपोर्ट पर पहुँचाया गया, जहा से हमने दिल्ली एअरपोर्ट के लिए उड़ान भरी और हम सुरक्षित अपने वतन लोटे, आवेज़ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत सरकार का धन्यवाद करते हुए सरकार से अपील की है कि अभी भी वहां भारतीय छात्र फंसे हुए है, जिनको जल्द से जल्द अपने वतन सुरक्षित वापस लाया जाए|
रूहाना प्रवीन ने बताया कि युद्ध के दौरान वो जब रेल स्टेशन पर गये जहाँ किसी भी छात्र को रेल में नहीं बैठने दिया जा रहा था अचानक से वहां बमबारी हो गई, ऐसा लग रहा था मनो बम्ब हमारे कान के पास फटा है, उस वक्त हमने बताया की हम भारतीय छात्र है तो वहां की आर्मी ने हमे बंकर में छुपा लिया और 4 से 5 घंटे बाद हमे शहर छोड़ने के लिए कहा कि आप यहाँ सुरक्षित नहीं हो, आप शहर से बहार दूर चले जाओ, जब हम वहां से निकले तो थोड़ी देर बाद हमारी साथ वाली बिल्डिंग पर बम्ब गिरा और हमारे आगे पीछे ईट, पत्थर, मलबा गिरा और चारो तरफ धुआं ही धुआं हो गया, हम जैसे तैसे वहां से बचकर निकले, रूहाना प्रवीन ने भी सरकार क धन्यवाद किया|
दोनों बच्चो के पिता जाहिद हुसैन ने बताया कि बच्चे जब वहां फंसे हुए थे तो हमारा एक एक दिन कैसे गुजरा उस दुःख का अंदाजा लगाना आसान नहीं है, लेकिन इस बिच हमे गर्व है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के दिन रात एक किया है और मैं सरहाना करता हूँ प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गये ऑपरेशन गंगा का जिसके तहत अब तक लगभग 16000 छात्रो को वहां से सुरक्षित वतन वापसी करवाई गई है| जाहिद हुसैन ने कहा कि मेरे बच्चे सुरक्षित वतन वापस हमारे बिच पहुँचे इसके लिए मैं बच्चो के लिए दुआ करने वाले सभी क्षेत्रवासियों का आभार व्यक्त करता हूँ और साथ साथ आभार व्यक्त करता हूँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय राज्य विदेश मंत्री वी. मुरलीधरन, केन्द्रीय मंत्री मुख्त्यार अब्बास नकवी, केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह, प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल और ख़ास तौर पर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का जिन्होंने मुझे लगातार सम्पर्क साधे रखा और समय समय पर सारी स्थिति से अवगत करवाते रहे और मेरे बच्चो की जानकारी केंद्र सरकार को पहुंचाते रहे|
जाहिद हुसैन ने यूक्रेन में फंसे छात्रो के लिए सलामती की दुआ करते हुए केंद्र सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द सरकार यूक्रेन में फंसे बच्चो को निकाला जाए|
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