सत्य खबर, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक किस्म के अंधविश्वास और विकास की टक्कर भी है। नोएडा के संदर्भ में यह मिथक प्रचलित रहा है कि यहां राज्य का जो भी मुख्यमंत्री आता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता है। यही कारण है कि बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती से लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव तक नोएडा आने से कतराते रहे हैं। जबकि अखिलेश यादव आस्ट्रेलिया में पढ़े हैं, आधुनिक विचारों के हैं, फिर भी उनका नोएडा न आना यह दर्शाता है कि वह भी मिथक पर ज्यादा भरोसा करते हैं, खुद पर कम।
वहीं इस मिथक के विपरीत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने इसे कभी अपने राह की बेड़ी नहीं बनने दिया। वैसे तो वह कई बार नोएडा आए, लेकिन बीते दिनों एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास से संबंधित एक फोरम में इस बारे में उनसे जब सीधे सवाल किया गया तो उनका जवाब था, ‘मैं इस तरह के मिथक पर भरोसा नहीं करता। मुङो खुद पर विश्वास है, अपने विकास कार्यो पर मुङो पूरा भरोसा है।’ इसी कार्यक्रम में उन्होंने एनसीआर को उत्तर प्रदेश का चेहरा भी बताया। जाहिर है, इस चेहरे की खूबसूरती वही संवार सकता है जो इसे करीब से देखे।
इस लिहाज से योगी आदित्यनाथ ने एनसीआर के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में एक नई आस जगाई है। वास्तव में नोएडा को लेकर जो एक तरह का अंधविश्वास पैदा किया गया उसे तोड़ने में विकास कार्यो की महत्वपूर्ण भूमिका है। विकास का यही विश्वास योगी को अंधविश्वास पर जीत दिला सका। जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास हो, नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की पहल हो या फिर कानून एवं व्यवस्था बेहतर बनाने का मसला हो, इन सभी से निवेशकों में एक भरोसा पैदा हुआ है। वर्तमान विधानसभा चुनाव में विकास के ये सभी कार्य मुद्दे के तौर पर लोगों के समक्ष हैं और होने भी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि नोएडा उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख औद्योगिक नगरी है। पिछले पांच वर्षो के दौरान जिस तरह यहां निवेश का एक सुखद परिवेश तैयार हुआ है, उसने इस क्षेत्र के मतदाताओं की जिंदगी में बदलाव लाने का काम किया है। जेवर एयरपोर्ट इस संबंध में एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इस एयरपोर्ट के बनने से नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में करीब 35 हजार करोड़ रुपये तक का निवेश आने की उम्मीद है। इससे कम से कम एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
आज चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के लिए एजेंडे में युवा और रोजगार का मुद्दा सबसे ऊपर है। कांग्रेस ने 20 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है, तो वहीं सपा ने भी सरकार बनने पर आइटी सेक्टर में 22 लाख नौकरियां देने की बात कही है। कांग्रेस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि सरकारी नौकरियां कहां से आएंगी। आज जब केंद्र और राज्य सरकारें निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं, ऐसे में कांग्रेस का केवल सरकारी नौकरियों पर जोर देना समझ से परे है।
समाजवादी पार्टी के पास इसका कोई आधार नहीं है कि वह आइटी सेक्टर में कैसे 22 लाख नौकरियां देगी। भाजपा जरूर दावा कर रही है कि नोएडा में नई कंपनियों के आने से रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी बनने से युवाओं के सपनों को पंख लगेंगे। इसका निर्माण होने से युवाओं के लिए नए अवसर केवल नोएडा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि मेरठ और उसके आसपास के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। मेरठ में करीब 1500 करोड़ रुपये का खेल उद्योग है। वहां क्रिकेट, एथलेटिक्स, फुटबाल, टेबल टेनिस, वालीबाल और हाकी समेत कई अन्य खेलों के उपकरण बनाए जाते हैं।
विश्व के अधिकांश देशों में मेरठ के खेल उत्पाद भेजे जाते हैं। अभी यहां के अधिकांश उत्पाद समुद्र के रास्ते और नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विदेश भेजे जाते हैं। नई दिल्ली एयरपोर्ट के अत्यधिक व्यस्त होने के कारण अक्सर यहां कई दिनों तक सामान पड़ा रहता है। ऐसे में जेवर एयरपोर्ट के जरिये सामान को विदेश तेजी से भेजा जा सकेगा। नोएडा से सटे गाजियाबाद को भी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के जरिये विकास की रफ्तार मिली है। साथ ही कैलास मानसरोवर भवन का तोहफा मिला है। गाजियाबाद में हज हाउस बनने के बाद यहां के लोगों में इसे लेकर एक कसक थी जिसे योगी ने महसूस किया और कैलास मानसरोवर भवन बनाकर उसे दूर किया।
अब चुनाव के दौरान यह भवन भी चर्चा में है। चुनावी माहौल में नोएडा और गाजियाबाद आकर योगी आदित्यनाथ अपना संदेश लोगों तक पहुंचा गए हैं। अब विपक्ष से कोई बड़ा नेता नोएडा आने की हिम्मत दिखाएगा या नहीं, इसका इंतजार यहां के उद्यमियों और मतदाताओं को है। नोएडा को लेकर जो एक तरह का अंधविश्वास पैदा किया गया उसे तोड़ने में विकास कार्यो की अहम भूमिका है। विकास का यही विश्वास योगी आदित्यनाथ को एक मिथक पर जीत दिला सका।
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