सत्य खबर, नई दिल्ली
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्णा ने 20 सालों तक हिमालय पर्वतमाला में रहने वाले एक फेसलेस कॉनमैन “सिद्ध पुरुष / योगी” के कहने पर हर बड़ा फैसला किया है। बाजार नियामक सेबी द्वारा जारी एक आदेश में यह खुलासा किया गया है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आदेश में कहा है कि ‘हिमालय में रहने वाले एक योगी’ के आदेश पर आनन्द सुब्रमण्यम की एक्सचेंज के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और एमडी के रूप में नियुक्ति की गई थी। सेबी ने कहा है कि चित्रा रामकृष्णा ने आनन्द सुब्रमण्यम को कई बार बहुत ज्यादा सैलरी हाइक दी है, जबकि उन्होंने उसके मुताबिक कोई भी काम या परफॉर्मेंस नहीं दी है।
अब 3 करोड़ का लगा चित्रा रामकृष्णा पर जुर्मान सेबी ने शुक्रवार (11 फरवरी) को एनएसई और उसके पूर्व एमडी और सीईओ, चित्रा रामकृष्णा और रवि नारायण और अन्य को आनन्द सुब्रमण्यम की नियुक्ति से संबंधित मामले में प्रतिभूति अनुबंध नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया। नियामक ने चित्रा रामकृष्णा पर 3 करोड़ रुपये, नारायण और सुब्रमण्यम पर 2-2 करोड़ रुपये और वी आर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जो मुख्य नियामक अधिकारी और मुख्य अनुपालन अधिकारी थे। इसके अलावा रामकृष्णा और सुब्रमण्यम को किसी भी मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीच्युशन में तीन सालों के लिए बैन किया गया है। सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडियटरी के साथ ये दोनों जुड़ नहीं सकते हैं। वहीं नारायण पर इस मामले में 2 साल की पाबंदी लगाई गई है।
‘योगी एक अज्ञात व्यक्ति था, इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकता था’ चित्रा रामकृष्णा अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ रही थीं। हिमालय में रहने वाले उस योगी को चित्रा रामकृष्णा ने ‘Sironmani’ के रूप में रेफर की हैं। सेबी के आदेश में कहा गया है, “रामकृष्णा के अनुसार ‘योगी एक अज्ञात व्यक्ति था, जिसके पास आध्यात्मिक शक्ति थी जो अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकता था और उसका कोई भौतिक या स्थानीय समन्वय नहीं था और बड़े पैमाने पर हिमालय पर्वतमाला में रहता था।”
20 सालों तक पर्सनल-प्रोफेशल हर फैसला योगी के कहने पर लिया पूर्णकालिक सदस्य अनंत बरुआ द्वारा हस्ताक्षरित सेबी के आदेश में कहा गया है कि आनन्द सुब्रमण्यम कथित रूप से उक्त योगी के सहयोगी थे, जिन्होंने रामकृष्णा के फैसलों को प्रभावित किया, जिससे उन्हें ‘समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार’ के रूप में फिर से नामित किया गया। आदेश में कहा गया है कि अज्ञात व्यक्ति की सलाह पर हर साल उन्हें दिए जाने वाली सैलरी पैकेज में काफी वृद्धि होती है। रामकृष्णा के मुताबिक 20 साल से हर तरह के पर्सनल और प्रोफेशल मामले योगी के कहने पर किए गए हैं।
कैसे हुई थी आनन्द सुब्रमण्यम की नियुक्ति भारत का सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई, जिसका संयुक्त बाजार पूंजीकरण करीब 4 ट्रिलियन डॉलर है, इसकी पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण ने आनन्द सुब्रमण्यम नाम के शख्स की नियुक्ति एनएसई में चीफ स्ट्रेटेजी एडवाइजर के तौर पर की थी। आनन्द सुब्रमण्यम को इस उद्योग में बहुत कम लोग ही जानते थे। उन्हें कैपिटल मार्केट का कोई एक्सपीरियंस भी नहीं था। अप्रैल 2013 में सुब्रमण्यम को स्ट्रेटेजी एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया गया था और उनका सालाना पैकेड 1.68 करोड़ का था।
साल दर साल ऐसे बढ़ता रहा आनन्द सुब्रमण्यम का पैकेज इससे पहले सुब्रमण्यम बामर लॉरी में मिडिल लेवल मैनेजमेंट के तौर पर काम कर रहे थे, जिनका सालाना पैकेज 15 लाख रुपये का था। अप्रैल 2014 में आनन्द सुब्रमण्यम का सालाना पैकेज 2.01 करोड़ किया गया, अप्रैल 2015 में सालाना पैकेज बढ़ाकर 3.33 करोड़ रुपये कर दिया गया। इसके अलावा आनन्द सुब्रमण्यम को ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और एमडी का एडवाइजर नियुक्त किया गया। 2016 में उनका पैकेज 4.21 का किया गया।
आनन्द सुब्रमण्यम बोले- पिछले 22 सालों से योगी को जानते हैं सुब्रमण्यम ने 12 सितंबर 2018 को अपने बयान में यह भी कहा था कि वह अज्ञात व्यक्ति योगी को पिछले 22 वर्षों से जानते हैं। उन्होंने कहा, कंपनी के लिए उनकी लागत 5 करोड़ रुपये से कम नहीं है। चित्रा पूरी तरह से सुब्रमण्यम पर निर्भर है और उनकी सलाह के बिना कुछ भी नहीं करती है। सेबी ने कहा, “यह सवाल खड़ा करता है कि बिना प्रासंगिक अनुभव के सुब्रमण्यम को रामकृष्ण द्वारा एमडी और सीईओ के मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में क्यों नियुक्त किया गया था, जबकि वह पहले से ही पिछले 20 वर्षों से अज्ञात व्यक्ति से अपनी सभी आधिकारिक सलाह ले रही थीं।”
Scrap aluminium resource utilization Scrap aluminium repurposing solutions Metal scrap repurposing