सत्यखबर, जींद: अनुसूचित जाति के लोगों को मछली पालन के क्षेत्र में स्वरोजगार उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई प्रोत्साहित करने वाली योजनाएं लागू की है। अगर कोई व्यक्ति रंगीन मछलियों की यूनिट लगाकर स्वरोजगार स्थापित करना चाहता है तो , सरकार द्वारा 6० प्रतिशत अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा। लघु रंगीन मछली पालन की यूनिट स्थापित करने के लिए 7 लाख रुपये तक के प्रोजेक्ट पर 4 लाख 2० हजार रुपये तक की राशि अनुदान के रूप में दी जाएगी। उपायुक्त डॉ० आदित्य दहिया ने बताया कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में लोग अच्छा खासा स्वरोजगार स्थापित कर सकते है। इस मछली पालन के क्षेत्र में लोग कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा सकते है। इस क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा भी कई तरह की योजनाएं लागू की गई है। सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के मत्स्य पालकों को मछली पकडने के जाल खरीदने पर 5० प्रतिशत अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। ग्रामीण तालाबों को मछली पालन के लिए पट्टे पर लेने के लिए भी वास्तविक पट्टे का 5० प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति का जो व्यक्ति मछली मण्डियों में दुकान या प्राईवेट दुकान किराए पर लेना चाहता है,उसे भी इस उदेश्य की पूर्ति के लिए वास्तिविक किराए का 5० प्रतिशत अनुुदान दिया जाता है। अनुसूचित पानियों में मछली पकडने के ठेक ा लेने पर स्वीकृत कुल बोली का 25 प्रतिशत अथवा 4 लाख रुपये दोनों में जो भी कम हो अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाया जा रहा है। खाद्य,खुराक पर भी वित्तिय सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी, इसमें प्रति एकड़ 9० हजार रूपये की राशि अनुदान के रूप में जिसकी अधिकतम सीमा एक लाख 8० हजार रुपये है। मत्स्य पालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को 1० दिन के प्रशिक्षण हेतू 1०० रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण भत्ता तथा अधिकतम 1०० रुपये प्रतिदिन व्यक्ति के आने-जाने का किराया दिया जाएगा।
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