राजस्थान, सत्य सबर, अशोक छाबड़ा
अशोक गहलोत सरकार पर मंडराये खतरे के बीच वहां की दो सीटों पर हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की राजनीति के जाट चेहरे दीपेंद्र सिंह हुड्डा गेम चेंजर की भूमिका में रहे। राज्यसभा की दो सीटों पर हुए चुनाव में न केवल दीपेंद्र हुड्डा का राजस्थान कनैक्शन काम आया, बल्कि हरियाणा मूल के कांग्रेस व कुछ अन्य विधायकों को पार्टी के पक्ष में मतदान कराने में दीपेंद्र ने बड़ी कामयाबी हासिल की।
राजस्थान में कांग्रेस के आठ विधायक ऐसे थे, जिनके राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से बाहर जाने का खतरा था। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर दीपेंद्र हुड्डा दो बार राजस्थान गए और राज्यसभा के दोनों उम्मीदवारों केसी वेणुगोपाल तथा नीरज डांगी को जितवाकर लाने में कामयाब रहे। राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के अल्पमत में आने की चर्चाएं चल रही थीं। वहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच तनातनी की खबरें आ रही थीं, जिनके आधार पर विधायकों ने खेमेबंदी शुरू कर दी थी। कांग्रेस हाईकमान ने राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, टीएस सिंह देव, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, केसी वेणुगोपाल, राजीव सातव और मानिक टैगोर की टीम को जयपुर भेजा, ताकि राजनीतिक परिस्थितियों को संभाला जा सके ।
10 जून को शुरू हुए इस घटनाक्रम में जब 13 जून को राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली के लिए रवाना हुए तो सवाल उठने लगे थे कि राजस्थान की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं है। रणदीप सुरजेवाला और उनकी टीम ने राजस्थान की राजनीति को लेकर जो भी रिपोर्ट तैयार की, वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी जा चुकी है, लेकिन पार्टी ने किसी भी तरह के विवाद को दरकिनार कर पहले राज्यसभा की दो सीटों को जीतने की रणनीति तैयार की। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार आठ विधायक ऐसे थे, जो पार्टी लाइन से बाहर जाकर कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों केसी वेणुगोपाल तथा नीरज डांगी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते थे। यहां भाजपा ने एक सीट के लिए दो उम्मीदवारों राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को मैदान में उतारा था,जिसके बाद कांग्रेस में क्रास वोटिंग का खतरा बन गया था।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के उप नेता रहे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के लिए ड्यूटी लगाई। दीपेंद्र हुड्डा दो बार जयपुर गए और उन्होंने वहां पार्टी लाइन से बाहर जाने की आशंका वाले विधायकों से अलग-अलग बातचीत की। राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा की अशोक गहलोत और सचिन पायलट से कई दौर की बातचीत हुई। दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा से तीन बार सांसद रहे तथा पहली बार राज्यसभा सदस्य बने हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा की शादी राजस्थान के दिग्गज जाट नेता और पांच बार सांसद रहे नाथूराम मिर्धा की पोती श्वेता मिर्धा से हुई है। श्वेता सांसद ज्योत मिर्धिा की छोटी बहन हैं। इसलिए राजस्थान में दीपेंद्र की अच्छी पकड़ है। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में दीपेंद्र और उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा अपनी पसंद के कई उम्मीदवारों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे थे। इनमें से कृष्णा पूनिया एक नाम हैं। दीपेंद्र ने नाराज विधायकों के गिले शिकवे दूर कराते हुए केसी वेणुगोपाल तथा नीरज डांगी को क्रास वोटिंग के खतरे से बाहर निकाला तथा राज्यसभा की दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में डालकर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। हुड्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेता दीपेंद्र हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा एक स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के सदस्य और पंजाब में मंत्री भी रह चुके हैं।कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और छत्तीसगढ़ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के 10 जून को अचानक जयपुर पहुंचने पर यह अटकलें शुरू हो गई थीं कि कहीं गहलोत सरकार खतरे में तो नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान को सूचित किया था कि राज्य सरकार सुरक्षित नहीं है।इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री ने बाहर आकर बयान दिया कि उनके विधायकों को 25 करोड़ रुपए में खऱीदने की कोशिश हो रही है।
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