सत्यखबर, नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के “भारत बंद” का सोमवार को समर्थन किया। उन्होंने कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे तमाम किसान संगठनों ने एक बार फिर केंद्र के इन कानूनों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया था। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है। इसलिए आज भारत बंद है। कांग्रेस के अलावा विभिन्न विपक्षी दलों ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त
किसान नेताओं ने सभी भारतीयों से बंद में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं और शांतिपूर्ण हड़ताल का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत यह तीसरा भारत बंद है और किसान यूनियनों को उम्मीद है कि यह बंद प्रभावी साबित होगा। कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए ‘भारत बंद’ के मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बंद के मद्देनजर सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। शहर की सीमाओं परप्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों में से किसी को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश भर के हजारों किसान पिछले दस महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं और पिछले साल सितंबर में लागू कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना ही होगा।
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‘नहीं पूरी होती मांग, तो और तेज करेंगे आंदोलन’
टिकैत ने संकेत दिए है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो किसान अपने इस आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने किसानों से कहा कि अपने ट्रैक्टर तैयार रखें, इनकी दिल्ली में कभी भी जरूरत पड़ सकती है। टिकैत ने कहा कि अगर किसान दस महीने से अपने घर नहीं लौटे हैं तो दस सालों तक भी आंदोलन कर सकते हैं, लेकिन इन कानूनों को लागू नहीं होने देंगे।
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