सत्य खबर, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन जंग के कारण बने नए वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए भारत की सुरक्षा तैयारियों को लेकर रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हिस्सा लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के अध्यक्षों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।
गुरुवार को पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से चार राज्यों में मिली जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत की जरूरतें रूस और यूक्रेन दोनों से जुड़ी हुई हैं, लेकिन देश शांति के पक्ष में है और उम्मीद करता है कि बातचीत के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत का संबंध आर्थिक, सुरक्षा, शिक्षा और राजनीतिक लिहाज से युद्ध में शामिल दोनों देशों से है। दोनों ही देशों से देश की जरूरतें जुड़ी हुई हैं। यह युद्ध दुनिया के हर एक देश को प्रभावित कर रहा है। भारत शांति के पक्ष में है और उम्मीद करता है कि बातचीत के जरिए ही इसका हल निकले।
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बता दें कि ऑपरेशन गंगा के तहत भारत ने युद्धग्रस्त यूक्रेन से 18000 से अधिक नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया है। इस सप्ताह की शुरुआत में ही ऑपरेशन गंगा प्रोग्राम को बंद कर दिया गया। ऑपरेशन गंगा की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से इसको लेकर बातचीत की थी, जिसके बाद ही ऑपरेशन गंगा कार्यक्रम का सफल आयोजन हो सका। भारतीय छात्रों को वहां से निकालने के लिए ही रूस ने दो बार संघर्ष विराम की घोषणा की। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने छात्रों को निकालने में मदद के लिए जिनेवा और यूक्रेन दोनों में रेड क्रॉस के साथ काम किया।
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