सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – जैव विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम नगर के बीडीपीओं कार्यालय पहुंची और प्रशासन के सहयोग से कार्यशाला आयोजित करके किसानों, सरपंचों व मौजिज लोगों को जैव विविधता के बारे में जागरूक किया। इस टीम की अगुवाई पूर्व आईपीएस अधिकारी डा. ए.केम्. गुप्ता कर रहे थे। इस मौके पर एसडीएम मनदीप कुमार ने विशेष रूप से शिरकत की तथा कार्यशाला की अध्यक्षता बीडीपीओ कीर्ति सिरोहीवाल ने की। अपने संबोधन में एसडीएम मनदीप कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम पारित किया था और उसमें निर्देश जारी किए गए थे कि जैव विविधता के स्त्रोतो को बचाना है।
इसको लेकर केंद्र स्तर पर नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) तथा प्रदेश स्तर पर स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड (एसबीबी) का गठन किया गया था लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया और ना ही इसके लिए कोई कमेटियां बनाई गई। अब एनजीटी कोर्ट ने कड़े निर्देश दिए हैं कि लोकल स्तर पर बायोडासवर्सिटी कमेटियां बनाई जाए और उन कमेटियों को उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदूषण का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है इसको लेकर माननीय सुप्रीमकोर्ट, केंद्र सरकार व राज्य सरकार पूरी तरह से जागरूक है और कड़े कदम उठा रही है।
उन्होंने ग्रामीणों से साफ तौर पर कहा कि वह पराली जलाने जैसा कदम ना उठाएं, अन्यथा इसमें एफआईआर व जुर्माने का प्रावधान है। वहीं दूसरी ओर जो किसान पराली नहीं जलाएगा सरकार उसको प्रोत्साहन तथा यंत्रों पर सब्सिडी दे रही है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे नुकसान की तरफ ना जाकर फायदे की ओर अपने कदम बढ़ाकर पर्यावरण को संरक्षित करने में अपना सहयोग प्रदान करें। अपने संबोधन में बीडीपीओ कीर्ति सिरोहीवाल ने बताया कि लोगों को जैव विविधता के प्रति जागरूक करने के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की ओर से पूर्व आईपीएस अधिकारी डा. एके गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम यहां पहुंची है।
उन्होंने बताया कि जैव विविधता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए गांव स्तर पर कमेटियां बनाई जाएंगी, जिसमें गांव के सरपंच, पंच, नंबरदार व मौजिज लोगों को शामिल किया जाएगा। गांव स्तर पर गठित कमेटी में एक रजिस्टर लगाकर उसमें यह दर्ज किया जाएगा कि उस गांव में कौन-कौन से जीव जंतु, औषधीय पौधे या किस प्रकार की मिट्टी पाई जाती थी और अब फिलहाल में कौन-कौन सी शेष है। इन सभी बातों का एक रिकॉर्ड तैयार किया उसकी एक रिपोर्ट बनाकर 31 दिसंबर तक एनजीटी कोर्ट सौंपी जाएगी। इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार की अनेक कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
अपने संबोधन में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम का नेतृत्व कर रहे डा. एके गुप्ता ने कहा कि सफीदों ऐतिहासिक महाभारतकालीन भूमि है और यहां का नाम महाराजा परीक्षित व महाराजा जन्मेजय से जुड़ा हुआ है। पौराणिक रूप से यह शहर व क्षेत्र जैव विविधता से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में क्या-क्या वस्तुएं, जीव-जंतु, मिट्टी व पेड़-पौधे हुआ करते थे या अब हैं इस सबकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज की जाएगी ताकि आने वाली पीढिय़ों को इस सब की जानकारी प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कीटनाशक दवाइयों व खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है जोकि मानव स्वास्थ्य व वातावरण के लिए अत्यंत खतरनाक है और इन दवाइयों का जीव-जंतुओं पर भी गहरा बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे कृषि में कम से कम दवाइयों व खादों का प्रयोग करें तथा जैविक की तरफ अपने कदम बढ़ाएं ताकि हम आने वाली पीढयि़ों को बीमारियों से बचाया जा सके।
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