सत्य खबर
जननायक जनता पार्टी (जजपा) में बगावती सुर तेज हो गए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से जारी लिस्ट में बरवाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग को हरियाणा आवास बोर्ड का चेयरमैन नवनियुक्त किया गया था। मगर सिहाग ने यह पद लेने से साफ इन्कार कर दिया है। हालांकि उन्होंने पद न लेने की वजह कृषि कानून की बताई है, पर इसको पार्टी में उनके बगावती सुर के रूप में देखा जा रहा है। जोगीराम का कहना है कि पद देने से पहले न उनकी कोई राय ली गई और ना ही उन्हें बाद में सूचित किया गया। उनको अन्य माध्यमों से इसकी जानकारी मिली। यहां बड़ी बात यह है कि विधायक बनने से पहले प्रदेश में भाजपा के पहले शासनकाल में जोगीराम हरियाणा हाउसिंग फेडरेशन के चेयरमैन रह चुके हैं।
वहीं पार्टी में अपेक्षाओं से नाराज नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि चेयरमैन क्या चीज है, पार्टी राज भी उनके हाथों में दे तो भी वो ना लें। दादा राम कुमार गौतम मंत्री न बनाए जाने के बाद से ही बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को अपना पोता बता कर तेवरों को ढीला कर दिया था। उससे कुछ राहत दुष्यंत चौटाला ने भी ली थी, लेकिन जैसे ही जजपा के विधायकों को चेयरमैन का तोहफा दिया गया तो पार्टी में एक बार फिर बगावती सुर उभरने लग गए हैं।
जोगीराम बोले- पार्टी कहेगी तो ही बरोदा हलके में करूंगा प्रचार
हिसार के सेक्टर 15 स्थित आवास पर प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए हरियाणा आवास बोर्ड के चेयरमैन का पद ठुकराने के बाद विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा कि वह बरोदा में तब ही जाएंगे, जब पार्टी ,कहेगी। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार किसान विरोधी विधेयकों को वापस नहीं लेती या फिर फसलों के न्यूनतम मूल्य प्रदान करने के लिए कानून नहीं बनाती वे प्रदेश सरकार का हिस्सा नहीं बनेंगे। वे सदा कहते हैं कि वह विधायक बाद में, पहले किसान के बेटे हैं।
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इनका तो सौदा ए कुछ नहीं है : गौतम
चेयरमैन पद भी न मिलने के सवाल पर विधायक राम कुमार गौतम ने बताया कि वह चेयरमैन नहीं बनना चाहते थे। वह पहले ही यह कह चुके हैं कि अगर दुष्यंत चौटाला उनको अपना राज भी सौंपे तो वह नहीं लेंगे। इनका तो सौदा ए कुछ नहीं है। रामकुमार गौतम ने भी जता दिया है कि वह चेयरमैनी की तो लाइन में ही नहीं थे। पार्टी से खफा दादा गौतम अबकी बार विधायक जरूर बन गए हैं, लेकिन उनका पछतावा कम नहीं हुआ है। उनका मानना है कि वह हलके का जो विकास करवाना चाहते थे, नहीं करवा पा रहे हैं। क्योंकि उनके हाथ में वह ताकत नहीं है जो पार्टी को उनको सौंपनी थी। दादा गौतम ने भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराकर यह साबित कर दिया था कि वह भी किसी से कम नहीं हैं।
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