सत्य खबर, बापौली
बापौली, क्षेत्र के गांव धनसौली व नगला पार के बीच यमुना नदी के अंदर स्थित 587 एकड़ भूमि पर पिछले कई वर्षां से विवाद चल रहा है। जो फिलहाल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस दौरान इस भूमि को लेकर एसडीएम समालखा को हाईकोर्ट ने सुपरदार बनाया हुआ है जो उक्त जमीन को ठेके पर देने के लिए हर साल बोली कराते हैं। वहीं यह पैसा सरकारी खजाने में जमा होता है। वहीं गांव धनसौली वासियों का आरोप है कि पिछले वर्ष कोरोना के चलते एसडीएम समालखा ने बोली ना कराकर 5 फ ीसदी बढ़ाकर उक्त भूमि को ठेके पर छोड़ दिया था। जिसको लेकर ग्रामीणों में भारी रोष है और ग्रामीणों ने गांव में पंचायत कर खुली बोली करवाने के लिए जिला उपायुक्त मिलने का निर्णय लिया तथा पानीपत लघु सचिवालय स्थित उपायुक्त कार्यालय में उपायुक्त धमेन्द्र सिंह से मिले। यहां उन्होंने उपायुक्त को पूरे मामले के बारे विस्तार से बताया तथा मांग की कि उक्त विवादित भूमि की खुली बोली कराई जाए। वहीं उपायुक्त ने ग्रामीणों की मांग पर उन्हें आश्वासन दिया की बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। कोविड गाईडलाइन का पालन कराते हुए खुली बोली कराई जायेगी।
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वहीं उपायुक्त से मिलकर लौटे धनसौली के ग्रामीण सुनील फ ौर, अनिल फ ौर, महावीर, रणबीर मास्टर, राममेहर, धर्मवीर, पूर्व सरपंच जितेंद्र सिंह फ ौर आदि ने बताया कि कि गांव में गुट बाजी बनी हुई है। जिसके चलते गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। उन्होंने बताया कि नगला पार और धनसौली गांव के बीच यमुना नदी के अंदर 587 एकड़ भूमि पर विवाद चला रहा है जिसमें से 40 एकड़ भूमि रास्ते के लिए छोड़ी हुई है तथा 25 एकड़ भूमि पर कोर्ट में केस चल रहा है। जबकि बकाया 522 एकड़ भूमि को हर वर्ष ठेके पर देने के लिए एसडीएम समालखा को सुपरदार नियुक्त किया गया है लेकिन पिछले वर्ष भूमि सुपरदार एसडीएम समालखा ने किसानों से मिलीभगत करके पांच फ ीसदी अधिक कर उनको भूमि भूमि ठेके पर दे दी और खुली बोली नहीं करवाई थी अगर पिछले वर्ष की तरह अबकी बार भी भूमि सुपरदार एसडीम समालखा ने कोरोना का बहाना बनाकर भूमि की खुली बोली नहीं करवाई तो गांव में पार्टी बाजी को बढ़ावा मिलेगा और कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि बृहस्पतिवार को वह एसडीएम समालखा को मिले और खुली बोली करवाने की मांग की। एसडीएम ने भी भरोसा दिलाया है कि इस बार उक्त विवादित भूमि की खुली बोली कराई जायेगी ताकि गांव में शांति व्यवस्था बनी रहे।
वहीं ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन को चेतावनी भी दी कि अगर हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह चैन से नहीं बैठेंगे और मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे।
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