सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में मंगलवार को विश्व स्तनपान पखवाड़े के तहत जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह ने की जबकि वरिष्ठ चिकित्सक डा. गोपाल गोयल, डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला, डा. रघुवीर पूनिया, डा. सीमा, वशिष्ठ ने शिरकत की और गर्भवती महिलाओं सहित अन्य लोगों को मां के दूध की महत्ता से अवगत करवाया। सीएमओ डा. मनजीत सिंह ने बताया कि विश्व स्तनपान पखवाड़े की थीम इस बार स्तनपान की सुरक्षा रखी गई है। जिसका उद्देश्य यह है कि माताओं को स्तनपान का महत्व व इसके फायदे बताए जाएं। उन्होंने कहा कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। मां के दूध से शिशु को पोषण के साथ-साथ रोगों से लडऩे की शक्ति भी मिलती है। पहले छह महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। सुपाच्य होने के कारण मां के दूध से शिशु को किसी भी तरह की पेट की गड़बड़ी होने की आशंका नहीं होती है। एमएस डॉ. गोपाल गोयल व डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कहा कि मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसलिए यह आपके शिशु के जीवन के लिए जरूरी है। इतना ही नहीं स्तनपान सिर्फ आपके शिशु के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद है। स्तनपान कराने वाली महिलाएं रोगमुक्त रहती हैं।
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डा. राजेश भोला ने बताया कि एक साल से कम उम्र के शिशु में डायरिया रोग से लडऩे की क्षमता कम होती है। मां का दूध उन्हें इस रोग से लडऩे की क्षमता देता है। मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला दूध के साथ गाढ़ा पीले रंग का द्रव भी आता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते है। इसे शिशु को जरूर पिलाएं। डा. रघुवीर पूनिया ने कहा कि स्तनपान से शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है। मां का दूध शिशु के लिए सुपाच्य होता है। इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में स्तन कैंसर, योनी और बच्चा दानी के कैंसर के खतरे कम हो जाता है। डा. सीमा वशिष्ठ ने माताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मां का दूध का बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है। स्तनपान कराने वाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है। इससे शिशु का सर्दी नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि जिन शिशु को टीकाकरण से ठीक पहले अथवा बाद में स्तनपान कराया जाता है, उनमें तकलीफ के कम लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए प्रत्येक मां को अपने बच्चे को स्तनपान अवश्य करवाना चाहिए। स्तनपान से मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है। स्तनपान के लिए मां अधिक कैलोरी का इस्तेमाल करती हैं और यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है। स्तनपान करानेवाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है। इस मौके पर कृष्णा, पिंकी, रेखा, प्रदीप, सुमित, मनजीत आदि मौजूद रहे।
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