सत्य खबर, नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने हड़कंप मचा रखी है. वैज्ञानिकों का दावा है कि आनेवाले वक्त में ओमिक्रॉन के मरीज भारत में भी मिलेंगे. वैज्ञानिकों ने पहले ही दावा किया था कि देश में कोरोना की तीसरी लहर आएगी और इसके लिए तैयार रहना होगा. हालांकि देश में कोरोना के खिलाफ चल रहे टीकाकरण से तीसरी लहर उतनी ज्यादा खतरनाक नहीं होगी, जितनी दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने तबाही मचाई थी.
एएनआई से बात करते हुए, टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के निदेशक और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के पूर्व प्रमुख, डॉ राकेश मिश्रा ने हाइब्रिड इम्युनिटी की प्रभावशीलता के बारे में बात करते हुए कहा, “स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, भारत में प्रशासित COVID-19 टीके ओमाइक्रोन वायरस के नए संस्करण के खिलाफ देश की लड़ाई में प्रभावी होंगे और देश के टीकाकरण वाले नागरिकों को एक ढाल प्रदान करेंगे.
उन्होंने कहा कि “परिणाम बताते हैं कि हाइब्रिड इम्युनिटी नए वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी होगी। इन चीजों का वैज्ञानिक सत्यापन हो रहा है. लोग स्यूडोवायरस और उन चीजों को लैब और टेस्टिंग में बनाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं. इसलिए मुझे लगता है कि इसमें लगभग 10 दिन लगेंगे, बमुश्किल दो सप्ताह. लेकिन मेरी भावना यह है कि यह सुरक्षात्मक होना चाहिए, शायद थोड़ा कम, लेकिन टीका निश्चित रूप से काफी हद तक मददगार होगा.
वहीं, ICMR एक्सपर्ट समीरन पांडा ने कहा कि अभी हमारे देश में ओमिक्रॉन ज्यादा नहीं फैला है. हमारे यहां डेल्टा ने ज्यादा नुकसान किया था, लेकिन ऐसा नहीं है कि हर वैरिएंट खतरनाक ही होता है. पहले जो भी कोरोना के वैरिएंट आए हैं, उससे लोगों में इम्यूनिटी डेवलप हुई है. इसके अलावा वैक्सीन की वजह से भी लोगों में इम्यूनिटी बनी है. नए वैरिएंट के फैलने का तरीका भी कोई नया नहीं है, लेकिन अब हमें सावधानी बरतनी होगी और भीड़ में जाने से बचना होगा.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर और डिप्टी डायरेक्टर मनिंदर अग्रवाल ने यह दावा किया है कि जनवरी 2022 के अंतिम सप्ताह और फरवरी की शुरुआत में इस वैरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या पीक पर होगी.
प्रो. मनिंदर अग्रवाल के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी फैलने के लक्षण तो हैं, लेकिन ज्यादा घातक नहीं दिख रहे. इस वैरिएंट के हर्ड इम्यूनिटी को बाईपास करने की संभावना कम है. हालांकि, इसके फैलने के लक्षण ज्यादा हैं और अभी तक साउथ अफ्रीका से लेकर दुनिया भर में जहां भी यह फैला है, इसके लक्षण गंभीर नहीं बल्कि हल्के देखे गए हैं.
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