सत्यखबर, चढ़ीगढ़
आपको बता दे की देश और पंजाब की राजनीति में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक दूसरे का हाथ पकड़कर बरसों से साथ चल रहे शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक रिश्तों में कड़वाहट हरियाणा के विधानसभा चुनाव के दौरान ही पड़ गई थी। अकाली दल ने हरियाणा के लोकसभा चुनाव में भाजपा का इस शर्त के साथ समर्थन किया था कि विधानसभा चुनाव दोनों दल मिलकर लड़ेंगे, लेकिन भाजपा व अकाली दल के बीच न तो सीटों के बंटवारे पर सहमति बनी और न ही भाजपा अपने सहयोगी अकाली दल के लिए कोई सीट छोड़ने को राजी हुई।
अकाली दल ने अप्रत्यक्ष रूप से हरियाणा के चुनावी रण में दस्तक दी। तभी से माना जाने लगा था कि दोनों दलों के बीच अब किसी भी दिल बिखराव की खबर सामने आ सकती है। विधानसभा चुनाव के करीब दस माह बाद कृषि विधेयकों के विरोध को अकाली दल ने भाजपा से अपने रिश्ते तोड़ने को बड़़ा आधार बनाया है।
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने जब इन विधेयकों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया था, तब लगने लगा था कि देश और पंजाब की राजनीति में किसी भी समय जबरदस्त धमाका हो सकता है। शनिवार रात को ऐसा हो भी गया, जिसका असर अब हरियाणा की राजनीति पर भी पड़ेगा।हरियाणा में अकाली दल और इनेलो के बीच पुराने राजनीतिक संबंध रहे हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को पगड़ी बदल भाई कहा जाता है। बादल और चौटाला के बीच न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी हैं। हरियाणा में इनेलो और अकाली दल मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं।
इसके साथ ही प्रदेश में जब चौटाला परिवार के बीच बिखराव हुआ तो प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल ने उनमें एकता कराने की आखिर तक कोशिश की, लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो सके। इसके बाद भी शिरोमणि अकाली दल ने चौटाला परिवार के साथ अपने व्यक्तिगत रिश्ते तो अभी तक कायम रखे हैं, लेकिन राजनीतिक रिश्तों को लेकर न तो इनेलो के साथ और न ही इनेलो से अलग हुई और भाजपा से जुड़ी जननायक जनता पार्टी के प्रति अपने राजनीतिक प्रेम का कभी प्रदर्शन किया।
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