सत्य खबर, नई दिल्ली
पेट्रोल की महंगाई से परेशान आम आदमी को आज राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हो रही जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी दायरे में लाने पर फैसला हो सकता है। साथ ही,आज की बैठक में जोमैटो और स्विगी जैसी ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनियों की रेस्टोरेंट सर्विस पर जीएसटी लगाने का फैसला आ सकता है। दूसरे शब्दों में जोमैटो और स्विगी जैसे प्लैटफॉर्म को रेस्टोरेंट की तरह ट्रीट किया जाएगा. अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का विचार ऑनलाइन फूड डिलिवरी ऐप की सर्विस पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने का है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो ऐसे ऐप्स को रेस्टोरेंट से टैक्स कलेक्ट करना होगा और सरकार को जमा करना होगा । कंज्यूमर पर इसका बोझ नहीं जाएगा ।
पेट्रोल को जीएसटी में लाना कितना मुश्किल
पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध शुरू हो गया है । केरल और महाराष्ट्र ने इसका विरोध किया है । एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये फैसला जीएसटी काउंसिल के लिए आसान नहीं है। क्योंकि इसके जरिए राज्यों की मोटी कमाई होती है। राज्य सरकार पेट्रोल पर कई तरह के टैक्स वसूलती है। ऐसे में इन्हें हटाने पर कमाई घट जाएगी । इसीलिए ये कदम बहुत क्रांतिकारी होगा। जानकारों के मुताबिक पेट्रोल पर जो वैट अभी लगता है, वो पुराने सेल्स टैक्स का नया नाम है। इसका जीएसटी से कोई लेना-देना नहीं है। हर राज्य ख़ुद ये फ़ैसला कर सकता है कि वो पेट्रोल पर कितना वैट लगाना है ।
इन सामानों को सस्ता करने पर फैसला संभव
आज की बैठक में करीब 4 दर्जन आइटम्स पर लगने वाले जीएसटी में बदलाव पर फैसला किया जा सकता है। इसके अलावा कोरोना में इस्तेमाल होने वाली दवाई पर टैक्स में छूट की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ाने पर भी विचार हो सकता है।
इससे पहले 12 जून को हुई पिछली बैठक में कोविड-19 दवाओं और आवश्यक वस्तुओं पर 30 सितंबर तक टैक्स की दरों को कम किया गया था । ऐसे में आज की बैठक में 11 कोविड दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का भी फैसला हो सकता है। बता दें कि देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई 2017 से लागू हुई थी।
GST से लगातार बढ़ रही है सरकारों की कमाई
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगस्त 2021 में सकल जीएसटी रेवेन्यू 1,12,020 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्रीय जीएसटी के 20,522 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी के 26,605 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी के 56,247 करोड़ रुपये (माल के आयात पर जमा 26,884 करोड़ रुपये सहित) और उपकर (सेस) के 8,646 करोड़ रुपये (माल के इम्पोर्ट पर जमा 646 करोड़ रुपये सहित) हैं । हालांकि, अगस्त में जुटाई गई राशि, जुलाई 2021 के 1.16 लाख करोड़ रुपये से कम है।
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अगस्त 2021 में जीएसटी राजस्व, पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा है। जीएसटी कलेक्शन अगस्त 2020 में 86,449 करोड़ रुपये था. मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी कलेक्शन अगस्त 2019 में 98,202 करोड़ रुपये था. इस तरह अगस्त 2019 के मुकाबले इस साल अगस्त में कलेक्शन 14 प्रतिशत ज्यादा रहा।
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