सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
भारतीय हिन्दी साहित्य के निर्माता, सभी धर्मों की अर्थहीन रूढिय़ों और कर्मकांड के सपाट आलोचक, निर्गुण धारा के अग्रणी कवि और 15वीं शती के क्रांतिकारी समाज सुधारक संत कबीर की जयंती पर हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन शहीद भगतसिंह अध्ययन केन्द्र में किया गया। मुख्य वक्ता वाणिज्य प्रवक्ता रेणुबाला ने कबीर के जीवन परिचय के बारे में बताते हुए कहा कि कबीर की वार्ता शैली व्यंग्यात्मक थी। वे हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों के अनुचित व्यवहार पर तल्ख और सपाट टिप्पणी तथा उनकी हर तरह की कड़ी आलोचना करते थे। वे अन्धविश्वास और रूढि़वादी विचारों के विरोधी थे। उन्होंने हिन्दुओं के जातिभेद, मूर्ति पूजा, अवतारवाद, तीर्थ यात्रा और पुनर्जन्म हेतू नदियों में स्नान तथा परलोक में आनन्द पाने जैसी धारणाओं आदि के विरोध में कड़ी भाषा का प्रयोग किया है। वे अडिग रहकर जीवन भर संघर्ष करते रहे। इस अवसर पर सुरेश कुमार, प्रदीप शर्मा, प्रमोद कुमार, माया देवी, चांदी राम बौद्ध, राजभान, वेदप्रकाश, गुलजारी, होशियार सिंह, सत्यनारायण जनागल, जगवंती, पवन चौपड़ा, विक्रम अली आदि ने भी अपने विचारों को साझा किया।
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