कम सुविधाओं में भी कोरोना मरीजों ईलाज में जुटे रहे डाक्टर
डा. विकास, डा. तुषार, डा. प्रदीप, डा. प्रिती व डा संदीप की भूमिका रही अहम
गर्भवती होने के वावजूद ड्यूटी पर तैनात रही डा. प्रिती गुप्ता
सफीदों, (महाबीर मित्तल): सफीदों में करोड़ों रूपए की लागत से बना नागरिक अस्पताल खड़े खड़ाए सफेद हाथी या रैफरल अस्पताल के रूप में जाना जाता है लेकिन हरियाणा सरकार यदि इस अस्पताल में सुविधाएं मुक्कमल करे और डाक्टरों की तैनाती करे तो इस अस्पताल से सफेद हाथी का दाग धूल सकता है। इस अस्पताल में सुविधाओं व डाक्टरों की मांग को लेकर सफीदों के राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक लोग कई बार सीएम मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर व ट्वीट कर चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस कोरोनाकाल में इस अस्पताल में बहुत कम सुविधाओं के बावजूद भी इस अस्पताल में अस्थाई तौर पर ड्यूटी दे रहे डा. विकास गुप्ता, डा. तुषार, डा. प्रदीप व डा. प्रिती ने जी-जान से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कोरोना मरीजों का ईलाज किया। वहीं एमओ डा. अरूणा लांबा व डा. संदीप लांबा का कार्य भी सार्थक रहा। डाक्टरों के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि इस अस्पताल में करीब 45 कोरोना मरीजों का इलाज किया गया और सभी मरीज ठीक होकर अपने घरों को गए। मरीजों को बिना रेमडेशिवियर इंजेक्शन दिए ठीक किया गया। गौरतलब है कि 30 अगस्त 2002 को तात्कालीन मुखयमंत्रभ्ी ओमप्रकाश चौटाला ने स्वास्थ्य मंत्री एमएल रंगा की अध्यक्षता एवं विधायक रामफल कुंडू की उपस्थिति में 50 बिस्तर के इस सामान्य अस्पताल के भवन का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के करीब 4 बाद 11 जून 2006 को तात्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने स्वास्थ्य मंत्री करतारी देवी की अध्यक्षता एवं विधायक बचन सिंह आर्य की उपस्थिति में इस नवनिर्मित सामान्य अस्पताल में उद्घाटन किया था।
डा. विकास, डा. तुषार, डा. प्रदीप, डा. प्रिती व डा संदीप की भूमिका रही अहम
गर्भवती होने के वावजूद ड्यूटी पर तैनात रही डा. प्रिती गुप्ता
सफीदों, (महाबीर मित्तल): सफीदों में करोड़ों रूपए की लागत से बना नागरिक अस्पताल खड़े खड़ाए सफेद हाथी या रैफरल अस्पताल के रूप में जाना जाता है लेकिन हरियाणा सरकार यदि इस अस्पताल में सुविधाएं मुक्कमल करे और डाक्टरों की तैनाती करे तो इस अस्पताल से सफेद हाथी का दाग धूल सकता है। इस अस्पताल में सुविधाओं व डाक्टरों की मांग को लेकर सफीदों के राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक लोग कई बार सीएम मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर व ट्वीट कर चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस कोरोनाकाल में इस अस्पताल में बहुत कम सुविधाओं के बावजूद भी इस अस्पताल में अस्थाई तौर पर ड्यूटी दे रहे डा. विकास गुप्ता, डा. तुषार, डा. प्रदीप व डा. प्रिती ने जी-जान से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कोरोना मरीजों का ईलाज किया। वहीं एमओ डा. अरूणा लांबा व डा. संदीप लांबा का कार्य भी सार्थक रहा। डाक्टरों के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि इस अस्पताल में करीब 45 कोरोना मरीजों का इलाज किया गया और सभी मरीज ठीक होकर अपने घरों को गए। मरीजों को बिना रेमडेशिवियर इंजेक्शन दिए ठीक किया गया। गौरतलब है कि 30 अगस्त 2002 को तात्कालीन मुखयमंत्रभ्ी ओमप्रकाश चौटाला ने स्वास्थ्य मंत्री एमएल रंगा की अध्यक्षता एवं विधायक रामफल कुंडू की उपस्थिति में 50 बिस्तर के इस सामान्य अस्पताल के भवन का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के करीब 4 बाद 11 जून 2006 को तात्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने स्वास्थ्य मंत्री करतारी देवी की अध्यक्षता एवं विधायक बचन सिंह आर्य की उपस्थिति में इस नवनिर्मित सामान्य अस्पताल में उद्घाटन किया था।
जिस दिन इस अस्पताल का उद्घाटन किया गया था उस दिन यहां पर चारों और चमाचम दिखाई पड़ रही थी और डाक्टरों की डेपयूटेशन पर ड्यूटियां लगाई गई थी लेकिन धीरे-धीरे यहां की चमाचम और डाक्टरों की तैनाती घटती चली गई। कुछ वर्षों के पश्चात इसको सामान्य से नागरिक अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन सुविधाओं का टोटा यूहीं बरकरार रहा। इस अस्पताल में 10 डाक्टरों की तैनाती होनी चाहिए लेकिन वर्तमान में यहां पर केवल एक ही महिला डा. अरूणा लांबा की तैनात है और उन्हे एमओ कार्यभार दिया गया है। इसके अलावा फील्ड के डा. विकास गुप्ता, डा. तुषार, डा. प्रदीप, डा. प्रिती गुप्ता व डा. संदीप लांबा की यहां पर अस्थाई ड्यूटी लगाई गई है। जिसमें से गर्भवती होने के बावजूद डा. प्रिती को हफ्ते में 3 दिन ड्यूटी हाट प्र्राईमरी हैल्थ सैंटर में देनी पड़ती है। यहां पर पहले ही डाक्टरों की कमी थी उसके बावजूद यहां पर तैनात 2 आयुर्वेदिक डा. प्रिती व डा. योगेश को जींद ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके अलावा यहां पर कोई एसएमओ नहीं है। अस्पताल में पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। इस भयकंर गर्मी में मरीजों व उनके तिमारदारों को पानी के लिए मारा-मारा फिरना पड़ता है। अस्पताल में एक्स-रे व ईसीजी मशीन तो है लेकिन उसके संचालित करने वाला स्टाफ नहीं है।
यह एक्स-रे मशीन बहुत पुराने समय की है और यहां पर आधुनिक तकनीक की एक्स-रे व अल्ट्रासाऊंड मशीन की आवश्यकता है। इसके अलावा यहां वैंटीलेटर व उसको संचालित करने वाले स्टाफ की भी आवश्यकता है। अस्पताल में संपूर्ण टैस्टिंग की व्यवस्था नहीं है। यहां पर केवल मलेरिया, टाईफाईड व टीएलसी की जांच की जा सकती है। अस्पताल में जरनेटर तो है लेकिन वह शुरू से ही खराब पड़ा है। लाईट जाने की स्थिति में मरीजों, तिमारदारों व डाक्टरों को अंधेरे में बैठना पड़ता है। इन सब अव्यस्थाओं के बीच यहां पर तैनात डाक्टर मरीजों को हरसंभव ईलाज देने का प्रयास कर रहे हैं। इस भयंकर कोरोना महामारी के बीच यहां के डाक्टरों ने कोरोना मरीजों को यहां पर भर्ती किया और मरीजों को इलाज दिया। जो मरीज अधिक गंभीर पाए उन्हे जरूर बाहर रैफर किया गया अन्यथा जिनकी स्थिति सामान्य थी उनको यहां ठीक करके घर पर भेजा गया। उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्य की क्षेत्रभर में प्रशंसा हो रही है। वहीं सामाजिक-धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों व आम लोगों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से अस्पताल में सुविधाएं देने की मांग की है ताकि आम इंसान अपना सस्ता व अच्छा इलाज करवा सके।
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क्या कहते है कोरोना नोडल अधिकारी
नागरिक अस्पताल में कोरोना नोडल अधिकारी डा. विकास गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में बहुत सी सुविधाओं की दरकार है। कम सुविधाओं के बावजूद सभी डाक्टर बेहतर करने का प्रयास करते है। अगर सभी सुविधाएं दे दीं जाए तो यह अस्पताल ओर बेहतर कार्य करके दिखा सकता है। उन्होंने बताया कोरोना महामारी में काफी मरीजों को यहां भर्ती किया गया और उन्हे अच्छा उपचार देकर ठीक करके डिस्चार्ज किया गया है।
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