सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – सफीदों अनाज मण्डी में धान के भाव कम होने से क्षेत्र का किसान काफी परेशान व मायूस है। पूसा 1121 किश्म की जिस धान का भाव पिछले वर्ष 3400 रूपए प्रति क्विंटल तक था वह 2900 रूपए तक पिट रही है। पीआर की धान को कटे भी महीना भर से ज्यादा हो गया लेकिन अभी भी मण्डी मे करीब सात हजार क्विंटल धान पड़ी है जो दो-दो सरकारी खरीद एजैंसियां तैनात होने के बावजूद बिक नहीं पा रही है। अब तो स्थिति यह है कि एक खरीद एजैंसी के खरीदार अधिकारी ने बताया कि सैंकड़ों क्विंटल के ढेर उत्तर प्रदेश से लाई गई धान के हैं।
इस मण्डी में हैफैड व हरियाणा वेयरहाऊसिंग कार्पोरेशन की खरीद है। ख्खरीद एजेंसियां धान की खरीद नहीं कर रही है। हैफेड एक एजैंसी के खरीदार अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि उनकी एजैंसी ने दस हजार क्विंटल धान की खरीद की है जो अनुबंध के तहत अ बाला के एक राईस मिल मालिक को मिलिंग के लिए उठवा दी गई है और इससे ज्यादा धान की मिलिंग के लिए कोई मिल अलाट नहीं किया गया है।
दूसरी सरकारी खरीद एजैंसी वेयरहाऊसिंग कार्पोरेशन के खरीद अधिकारी सुमित कुमार ने बताया कि पहले सफीदों के भारत राईस मिल को धान मिलिंग के लिए दी जानी थी लेकिन औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई और उसके बाद रोहतक जिला के जसिया स्थित एक मिलर को काम दिया गया जिसने भारत राईस मिल को देने के लिए खरीदी करीब 42 हजार क्विंटल मे से सात हजार क्विंटल धान को रविवार को उठा लिया है और आज इस धान की इसलिए नही हो पाई कि विशेष रेल रैग के कारण वहां ट्रक व्यस्त रहे जबकि कच्चा आढती एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवचरण कं सल का कहना था कि जसिया के राईस मिल मालिक द्वारा उठाई गई धान मे 128 क्विंटल धान कम हो गई है इसलिए उसने और धान उठाने से मना कर दिया है।
कंसल का कहना था कि धान खरीद मे इस कदर अव्यवस्था उन्होंने इस मण्डी मे कभी नहीं देखी। इस कमी बारे सुमित कुमार का कहना था कि कच्चा आढती एसोसिएशन व मिलर मिलकर इसका फैसला करेंगे। सुमित ने बताया कि उनकी एजैंसी ने करीब 30 हजार क्विंटल धान की खरीद कर ली है जबकि हैफे ड ने केवल दस हजार क्विंटल ही खरीद की है। अपनी पीआर धान के साथ महीना भर से मण्डी मे पड़े किसान बदहाली मे हैं।
किसानों ने बताया कि धान का सीजन उनके लिए अत्यंत व्यस्तता का सीजन है जिसमे उन्हें धान उठाकर मण्डी मे बेचनी होती है, इसकी पराली को खेत से निकालना होता है और जमीन तैयार करके तत्परता के साथ गेहूं की फसल की बिजाई करनी होती है, ऐसे मे किसान धान ना बिकने से मण्डी मे ही उलझा रहे और धनाभाव भी संकट बना हो तो उसकी परेशानी के साथ-साथ घाटे का भी भारी बोझ उस पर पड़ता है।
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