लोगों की जान आई आफत में, कई लोग हो चुके हैं घायल
लोगों ने प्रशासन से की बेसहारा गौवंश को पकडऩे की मांग
सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल: सफीदों क्षेत्र में बेसहारा गौवंश की स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। जहां पर भी नजर दौड़ाओं वहीं बेसहारा गौवंश व नंदी दिखाई पड़ते है। इस गौवंश के कारण जनता की जान पर आफत बन आई है लेकिन प्रशासन आंखे मूंदे हुए बैठा है। इस मामले में प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। लोगों ने शासन व प्रशासन से इन बेसहारा गौवंश को पकडऩे की मांग की है। बता दें कि सफीदों के जींद रोड़ पर विशाल नंदीशाला भी बनाई गई है लेकिन इन गौवंश व नदिंयों को वहां पर क्यों नहीं भेजा जा रहा, लोगों के मन में यह एक प्रश्र बना हुआ है। बेसहारा पशुओं के कारण क्षेत्र में अनेक घटनाएं घट चुकी है तथा नित नए हादसे घटित हो रहे हैं। शहर में बेसहारा पशुओं की तादाद घटने की बजाए निरंतर बढ़ रही है। सैंकड़ों की तादाद में पशु नगर की सड़कों पर विचरण कर रहे हैं।
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शहर में घूमते आवारा पशुओं के कारण राहगीर चोटिल हो रहे हैं, क्योंकि सड़क पर चलते यह पशु अचानक वाहनों के आगे आ जाते हैं, जिससे खासकर दुपहिया वाहन चालक अचानक ब्रेक लगाने पर नियंत्रण खोने से गिर पड़ते हैं। कई बार तो नंदी में ही भिड़ पड़ते है और उनकी भिडंत का खामियाजा आम जनता, दुकानदारों, वाहन चालकों व राहगीरों का उठाना पड़ रहा है। कई बार नंदी लड़ते-लड़ते दुकानों तक में घुस जाते है। लोगों का एक बड़ा समूह हाथों में ल_ व डंडे लेकर दो भिड़ रहे नंदियों को अलग-थलग करता है। बाजारों व सड़कों पर लोगों खासकर महिलाओं,ख् बुजुर्गों व बच्चों का निकलना दूभर हो गया है। सड़कों, गलियों व बाजारों में नंदियों के बड़े-बड़े झुंड कब्जा करके बैठ जाते हैं। रात में तो समस्या अत्यंत गंभीर हो जाती है। रात्रि के दौरान सुनसान सड़कों व गलियों में दर्जनों-दर्जनों गौवंश के झुंड बैठे मिलते है जोकि गाडिय़ों की लाईट में भी दिखाई नहीं पड़ते। कुछ गौवंश के गले में रस्सी भी डली हुई दिखाई देती है। उन्हे देखकर कुछ ऐसा भी प्रतीत होता है कि शायद उन्हे यहां कोई छोड़कर गया हो।
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क्या कहते हैं नंदीशाला संचालक
इस मामले में नंदीशाला संचालक योगी दीपक चौहान का कहना है कि सरकार द्वारा यहां जींद रोड़ पर नंदीशाला बना तो दी गई है लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से यहां किसी भी प्रकार का सहयोग उन्हे प्राप्त नहीं हुआ है। फिलहाल नंदीशाला में करीब 450 बेसहारा गौवंश है, जिनमें नंदियों की संख्या अधिक है। इस वक्त नंदीशाला का करीब डेढ लाख रूपए प्रतिमाह का खर्च है और इस खख्र्च का भुगतान वे दानी सज्जनों के सहयोग से कर रहे हैं। इसके अलावा नंदीशाना को कई लाख रूपए लोगों की देनदारी भी है। अगर सरकार व प्रशासन सहयोग करेगा तो सभी बेसहारा गौवंश को नंदीशाला में ले लिया जाएगा। अगर बिना किसी सहयोग राशी की इन नंदियों को भी यहां ले लिया गया तो पहले से मौजूद नंदी भी भूखे मर जाएंगे।
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