हरियाणा में वन को छह फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य
सरकार ने सक्रिय की जैव विविधता समितियां, रजिस्टर में दर्ज होगी औषधियां
अरावली व मोरनी के वन क्षेत्र को संरक्षित करने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम
सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाणा एक नई पहल करने जा रहा है। ऐसी पहल, जो उसे बरसों पहले कर देनी चाहिए थी। देर आए-दुरुस्त आए वाली कहावत के बीच कोरोना महामारी में हरियाणा ने राज्य के अलग-अलग कोनों में पैदा होने वाली तमाम जड़ी-बूटियों को सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य भर में जैव विविधता समितियों का गठन किया गया है। जैव विविधता समितियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने-अपने क्षेत्र का जैव विविधता रजिस्टर तैयार करें, जिसमें सभी प्रकार की जैव विविधता को दर्ज किया जाये, ताकि उस क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
जैव विविधता रजिस्टर में गांव वालों के पास उपलब्ध जड़ी-बूटियों की जानकारी को दर्ज किया जाएगा, ताकि इस प्रकार का बहुमूल्य ज्ञान आने वाली पीढिय़ों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। इन जैव विविधता रजिस्टरों के माध्यम से जैव विविधता समितियों को न केवल अपने क्षेत्रों में पाए जाने वाली जड़ी-बूटियों का ज्ञान रहेगा अपितु इन जड़ी-बूटियों का व्यापार करने वाले व्यापारियों एवं दवाइयां बनाने वाले फैक्टरी मालिकों से भी लाभ का कुछ हिस्सा प्राप्त हो सकेगा। यदि व्यापारियों व फैक्ट्री मालिकों को यह पता होगा कि किस क्षेत्र में कौन सी औषधि उपलब्ध हो सकती है तो उसे आसानी से खरीदा भी जा सकेगा।
हरियाणा का वन क्षेत्र फिलहाल मात्र छह फीसदी है, जिसे बढ़ाकर दस फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने निर्धारित किया है। ऐसे प्रयास हर साल होते हैं, लेकिन पौधारोपण के बाद उन्हें पूरी संजीदगी से बचाने अथवा उनके समुचित पालन-पोषण के अभाव में हरियाणा को अपना लक्ष्य हासिल करने में सफलता नहीं मिल पा रही है। हरियाणा के अरावली, शिवालिक और मोरनी के जंगल काफी अहम है, जहां काफी मात्रा में वन संपदा भरी पड़ी है। इन वन क्षेत्रों पर भूमाफिया की निगाह है, जिसे बचाने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने की जरूरत है। हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री कंवरपाल गुर्जर की मानें तो पर्यावरण, प्रकृति एवं जैव विविधता एक दूसरे के पूरक हैं।
यह भी संयोग कि 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया है, जिसका थीम था मानव की समस्याओं का समाधान प्रकृति में ही निहित है। अब अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर जैव विविधता थीम रखा गया है। कंवरपाल के अनुसार प्रकृति एवं पर्यावरण में संतुलन पर ही जैव विविधता का अस्तित्व संभव है और इसी प्रकार जैव विविधता के कारण ही पर्यावरण में संतुलन बना रह सकता है। जनसंख्या विस्फोट की वजह से जैव विविधता कई कारणों से कम होती जा रही है। कई प्रजातियां तो विलुप्त हो गई हैं। जैव विविधता के विलुप्त होने के विभिन्न कारण हैं, जिनमें मुख्य पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, वनों का कटान एवं उनमें अत्याधिक चराई, जैव विविधता के आवास का विखंडन एवं वन्य जीवों का शिकार शामिल हैं।
पर्यावरण मंत्री के मुताबिक हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में जैव विविधता की जानकारी संकलित करने हेतु राज्य जैव विविधता बोर्ड को सक्रिय किया गया है। जैव विविधता बोर्ड के चेयरमैन गुलशन आहूजा के अनुसार लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने तथा जैव-विविधता का महत्व समझाने के लिए बोर्ड द्वारा साल भर आयोजन किए जाएंगे। इसमें जैव विविधता रजिस्टर अहम रोल अदा करने वाले हैं, जो जिला, ब्लाक व गांव स्तर पर काम करेंगे।
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