सत्य खबर, नई दिल्ली
करवा चौथ का व्रत और पूजन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है । इसे करक चतुर्थी भी कहते हैं । करवा या करक मिट्टी के छोटे घड़े को कहते हैं । जिससे चांद को अर्घ्य दिया जाता है । यह चौथ शरद पूर्णिमा के बाद आने वाली चौथ होती है । पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश राज्यों का यह प्रमुख त्योहार है । साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में यह दिन आश्विन महीने में पड़ता है । इसी समय खरीफ की फसल तैयार होने से इस त्योहार की उमंग बढ़ जाती है ।
पति की लंबी उम्र के लिए व्रत
करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है । इस व्रत की शुरुआत सवेरा होने के साथ ही हो जाता है । इस व्रत में सूर्योदय के बाद न कुछ खाया जाता है न पिया जाता है । रात को चांद दिखने पर उसे अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है । इसे चांद को अरग देना या चांद को अर्क देना भी कहते है । अलग अलग जगह और परिवार की हिसाब से रीति रिवाज कुछ बदल जाते हैं ।
करवा चौथ पर सरगी में क्या खाएं
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नाश्ता करते है जिसे सरगी कहा जाता है । सरगी में सूत फेनी जरूर शामिल होती है । इसे दूध के साथ लेते हैं । इसे खाने से पानी नहीं पीने की वजह से होने वाली परेशानी कम हो जाती है । कुछ जगह सरगी में सात, नौ या ग्यारह तरह की चीजें ली जाती है । सरगी में खाने की सामग्री में बादाम, काजू, किशमिश, अंजीर, मेवे तथा फल, पराठे, मठरी, दूध और छेने से बनी मिठाइयां शामिल है । रिवाज के अनुसार सास ही बहु के लिए सरगी भेजती है । या फिर खुद तैयार करती हैं ।
करवा चौथ और गणेश जी की कहानी सुनें
व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेशजी और चांद की पूजा की जाती है । पूजा के लिए चित्र बाजार में मिल जाता है । पूजा के लिए एक पाटा धोकर शुद्ध करें । उसके बाद इसपर कुछ गेहूं के दाने रखें। पूजा के लिए चौथ माता का चित्र रखें । वहीं, एक मिट्टी के करवे पर मौली बांधकर रोली से एक सातिया बनाएं । उस पर रोली से तेरह बिंदी लगाकर चांद को अर्घ्य देने के लिए जल भर लें । फिर उसपर एक खाली दीपक या प्लेट रखकर उसमें दो बोर, एक कांचरी, दो चोले की फली, आंवला, सिंघाड़ा, एक फूल रखें । वहीं दूसरी प्लेट में रोली, मौली, गेहूं के दाने, गुड़, मेहंदी लें । और एक लोटा जल से भरकर रखें । इसके बाद चौथ माता को रोली, मोली, अक्षत, फूल, मेहंदी आदि अर्पित करके पूजा करें और गुड़ का भोग लगाएं । जिसके बाद, अपने माथे पर रोली से टीका करें और हाथ में गेहूं के तेरह दाने लेकर करवा चौथ की कहानी और भगवान गणेश जी की कहानी सुनें । कहानी सुनने के बाद गेहूं के कुछ दाने लोटे में डाल लें. और कुछ दाने साड़ी के पल्लू में बांध लें । और लोटे का जल सूरज को दें ।
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चांद निकलने पर क्या करें
इस व्रत में रात में चांद निकलने पर चांद की पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाता है । चांद को अर्क देकर उसकी पूजा की जाती है । चांद को जाली या दुपट्टे में से देखते हैं । फिर इसी तरह पति को भी देखा जाता है । इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर और खाने के लिए पहला निवाला देकर व्रत खुलवाया जाता है । इसके बाद व्रत करने वाली महिला खाना खाती है । आजकल पति भी पत्नी का साथ देते हुए इस दिन व्रत रखते है । पति का व्रत रखना पत्नी के प्रति प्रेम जाहिर करता है ।
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