सत्य खबर,चंडीगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर सरकार से किसान आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालने के लिए आग्रह किया । हुड्डा का कहना है कि किसानों को अपने घर-परिवार से दूर दिल्ली बॉर्डर और अलग-अलग धरनों पर बैठे हुए 11 महीने हो चुके हैं। किसानों की मांगे पूरी तरह जायज हैं। बावजूद इसके सरकार अपना अड़ियल रुख बदलने के लिए तैयार नहीं है। सरकार को बिना देरी के राष्ट्रहित में एवम अन्नदाता के सम्मान में एक कदम आगे बढ़ाते हुए गतिरोध खत्म करते हुए, बातचीत शुरू करनी चाहिए।लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता सर्वोपरि होती है। इसलिए आखिरकार हर गतिरोध का समाधान संवाद से ही निकल सकता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में आज किसानों को हर स्तर पर हरियाणा गठबंधन सरकार की अनदेखी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। आज डीएपी खाद के लिए किसान मारे-मारे घूम रहे हैं। कई-कई घंटे, कई-कई दिन लंबी-लंबी कतारों में इंतजार करने के बाद भी किसानों को पुलिसिया साये में भी पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही। इसकी वजह से अगले फसली सीजन की बुआई में देरी हो रही है।
हुड्डा ने कहा कि सरकार ना बुआई के समय किसानों को खाद मुहैया करवा पा रही है और ना ही बिकवाली के वक्त किसानों को एमएसपी दे रही है। धान की खरीद में देरी और उठान नहीं होने की वजह से बड़ी तादाद में किसान एमएसपी से वंचित रह गए। उधर, सरकार ने बाजरा खरीदने से तो इंकार ही कर दिया। इसी तरह सरकार धीरे-धीरे करके एमएसपी से पीछा छुड़ाना चाहती हैं। क्योंकि बाजरा किसानों को जिस भावांतर भरपाई योजना के हवाले किया गया है वो पहले ही पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है। किसान पर आज चौतरफा मार पड़ रही है।सरकार की बेरुखी,महंगाई, मौसम और सरकार की नीतियों की मार से आज किसान बेहाली का शिकार हो रहा है ।
इसी तरह सरकार की फसल बीमा योजना की विफलता में हर सीजन एक नया अध्याय जुड़ जाता है। लगातार कई सीजन से किसान मौसम की मार झेल रहे हैं लेकिन बीमा कंपनियों और सरकार की तरफ से उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा। इसी खरीफ सीजन में खराबे की लगभग 60,000 शिकायतें सरकार के पास पहुंची हैं। लेकिन फिर भी किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं की जा रही। स्पष्ट है कि सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमटी हुई है और कई योजनाओं को तो सरकार ने पूरी तरह बंद कर दिया है। इन्हीं में से एक है पशुधन बीमा योजना।
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हुड्डा ने कहा कि किसानों को पशुधन बीमा के लिए प्रेरित करने की खातिर कांग्रेस सरकार के दौरान हमने नाममात्र फीस में बीमा की योजना चलाई थी। लेकिन अब सरकार ने पशुपालकों को निजी कंपनियों के भरोसे छोड़ दिया है। जो बीमा पहले सरकार द्वारा महज ₹100 में होता था, उसके लिए निजी कंपनियां 3-3 हजार रुपए वसूल रही हैं। हुड्डा ने कहा कि किसानों को पहले की तरह सरकारी बीमा का लाभ दिया जाना चाहिए। साथ ही जल्द से जल्द स्पेशल गिरदावरी करके फसल बीमा योजना के तहत फसलों के खराबे के लिए भी उन्हें जल्द मुआवजा मिलना चाहिए।
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