सत्य खबर, नई दिल्ली
दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट पहलवान सुशील कुमार को हत्या के एक मामले में 23 मई को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन पर साथी पहलवान सागर धनखड़ की हत्या का आरोप है। वहीं फिलहाल सुशील कुमार 6 दिन की पुलिस रिमांड में हैं। इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय खेल एक बार फि र से दागदार हो गए हैं। लेकिन 33 साल पहले भी इस तरह की घटना हुई थी जिसमें सडक़ पर मामूली कहासुनी के बाद पिटाई में एक शख्स की मौत हो गई थी और इस मामले में आरोपी नवजोत सिंह सिद्धू थे।
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भारत के पूर्व क्रिकेटर और अभी कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू पर अपने दोस्त के साथ मिलकर एक कार सवार को मारने का आरोप लगा था। हालांकि इस केस में वे शुरू में बरी हो गए थे, लेकिन साल 2018 में फि र से केस खुला था और सिद्धू को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना गया था। आईए बताते हैं सिद्धू का पूरा मामला। दरअसल 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के अपनी मारुति जिप्सी में बैठे थे। इस दौरान मारुति कार में सवार गुरनाम सिंह भी वहां पर आया। उसने जिप्सी में बैठे लोगों से रास्ता देने को कहा इसपर बहसबाजी हुई और सिद्धू और संधू ने गुरनाम को पीट दिया। सिद्धू ने गुरनाम के सिर पर भी चोट मारी थी। बाद में गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई। ऐसे में दोनों पर मामले दर्ज हुए। ट्रायल कोर्ट में हत्या का मामला भी चला। लेकिन 1999 में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया। फैसले में सबूतों की कमी का हवाला दिया गया था।
वहीं साल 2002 में पंजाब सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दी। दिसंबर 2006 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पाया कि सिद्धू और उनका दोस्त कल्पेबल हॉमिसाइड यानी गैर इरादतन हत्या के दोषी हैं। इसका मतलब यह था कि यहां पर भी उन्हें हत्या का दोषी नहीं माना गया। उनके अपराध को गैर इरादतन ही माना गया। सिद्धू को हाईकोर्ट ने तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई। तब सिद्धू पंजाब के अमृतसर से बीजेपी सांसद थे। बाद में सिद्धू की ओर से अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा। उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी गई।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिद्धू की ओर से बचाव में कहा गया था कि गुरनाम सिंह की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। इसका उनकी पिटाई से नाता नहीं था। फि र 2018 में केस का नतीजा आया जिसमें सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप से भी बरी कर दिया गया। हालांकि उन्हें नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया गया और कोर्ट ने 1000 रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद सितंबर 2018 में हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फि र से अपने फैसले पर विचार करने का फैसला किया था पर इस मामले में आगे अभी कोई अपडेट नहीं आया है।
अब जहां तक बात सुशील कुमार के केस की है तो उन पर भी कमोबेश इसी तरह का मामला है। पुलिस ने उन पर हत्या और इससे जुड़ी धाराओं में केस दर्ज किया है। सुशील पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 हत्या, 308 गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास, 365 अपहरण या इसकी कोशिश, 325 स्वेच्छापूर्वक गंभीर चोट पहुंचाना, 323 जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना, 341 गलत तरीके से रोकने, 506 आपराधिक धमकी, 269, 188, 120.बी और 34 के साथ ही शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। अब देखना यह है कि नवजोत सिद्धू व सुशील कुमार दोनों के मामले में हत्या तो हुई है पर अदालत सुशील पहलवान के मामले में क्या निर्णय लेती तथा पुलिस अदालत में केस को किस तरह से पेश करती है यह देखना होगा।
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