सत्यख्रबर सफीदों, महाबीर मित्तल: सफलता और असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारी तैयारी कैसी है। यह बात मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने गांव रामपुरा स्थित न्यू बीएसएम स्कूल में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मानव जीवन एक परीक्षा केंद्र की तरह ही तो है। जहां तक विद्यार्थी जीवन की बात करें तो परीक्षा का महत्व बढ़ जाता है। वार्षिक परीक्षा का उद्देश्य एक तरह से प्रत्येक वर्ष आत्म अवलोकन व खुद की छटनी करके अगली कक्षा के लिए अग्रसर होना है। नियम यहां भी सामान्यत: वही होते हैं जो जीवन की परीक्षा के लिए निर्धारित किए गए हैं। परीक्षाओं में विशेषत तैयारी भी कमी, माता-पिता व अध्यापकों की बच्चों से क्षमता से अधिक उम्मीद, खुद की दूसरों से तुलना, एकदम से रूटीन में बदलाव, कहीं ना कहीं अत्यधिक तनाव को बढ़ाने वाले कारण हो सकते हैं।
परीक्षा तनाव प्रबंधन हेतु खुद से खुद की पहचान करें, वास्तविक वस्तुस्थिति को जाने, विषयों की संक्षिप्त सूची बनाएं, तत्पश्चात प्राथमिकताएं तय करें। बहुत ज्यादा नया समझने की कोशिश ना करें। जितना समझा गया है, उसी को याद करें, उसी को अच्छे से दोहराएं। हमेशा याद रहे कि इस वर्ष की परीक्षा अंतिम नहीं है, हिम्मत ना हारे हौसला कायम रखें, नंबरों पर नहीं खुद की क्षमता अनुसार बेहतर से बेहतर प्रयास करें। किसी भी कारण से अगर परीक्षा में खराब प्रदर्शन हुआ है तो इसका मतलब बिल्कुल यह ना समझे कि आपने काबिलियत नहीं है। पूर्व परीक्षा में जो गलती रही है उन्हें जाने, सुधारें, उनसे सबक लें, कोशिश करें कि वह सब गलतियां दोहराई ना जाए। व्यवधान दूर करें, सोशल मीडिया से जितना हो सके दूरी कायम करें। समय के महत्व को समझे, प्रबंधन की कला सीखे, टालमटोल छोड़ दे। इस मौके पर प्रमुख रूप से स्कूल संचालक अरूण खर्ब, मलकीत चहल, अनिल ख्खर्ब व विश्वदीप मौजूद थे।
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