सत्यखबर,दिल्ली ,देव सैनी
मोदी सरकार द्वारा लाए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान पिछले करीब 7 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं….इसी के चलते ये किसान आंदोलन एक बार फिर चर्चा में आ गया है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों बयान दिया कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, लेकिन आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत को तैयार है. अब किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि वो बिना किसी शर्त के ही सरकार के साथ बातचीत करेंगे. सरकार चाहे तो लाठी डंडों का इस्तेमाल कर सकती है. उनका कहना है कि सरकार ने नया प्रस्ताव शर्तों के साथ दिया है जो मंजूर नहीं है.
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टिकैत का कहना है कि आठ महीने से किसान आर पार के मूड में बैठे हैं. और जिसे आर पार की भाषा जिस तरह से समझनी हो वो समझ सकता है. किसान नेता ने कहा कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार कह रही है कि यहां से चले जाओ. लेकिन अगर हम जाएंगे तो बातचीत से, नहीं तो लाठी-डंडे-गोली जिससे सरकार भगाना चाहे भगा दे. वहीं राकेश टिकैत ने मोदी सरकार के नए प्रस्ताव पर कहा कि एक लाख करोड़ की तो ठग विद्या है, हम तो बस ये कह रहे हैं कि हमें फसलों का भाव दे दो, एक लाख करोड़ जहां खर्च करना है कर लेना. लेकिन जब हमें भाव नहीं दे रहे हैं तो एक लाख करोड़ का क्या मतलब है.
बता दें कि इससे पहले भारतीय किसान यूनियन ने गुरुवार को ऐलान किया था कि अगस्त से प्रदेश के सभी जिलों में आंदोलन शुरू किया जाएगा. आंदोलन में गन्ना किसानों के साथ ही बिजली की समस्या को उठाया जाएगा. अब राकेश टिकैत ने बताया कि 11 जुलाई को किसानों की एक बड़ी बैठक होगी जिसमें इस आंदोलन की रूप-रेखा तय की जाएगी. और एक अगस्त से इस आंदोलन को बल देने की कोशिश होगी…गौरतलब है कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद सरकार और किसानों के बीच बातचीत का डैडलॉक लगा हुआ है।
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