सत्य खबर, चण्डीगढ़
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव रोचक हो चुका है। राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार किशन लाल पंवार तो आसानी से जीत जाएंगे। लेकिन चुनाव जीतने के लिए कड़ी मशक्कत दूसरी राज्यसभ सीट के लिए होगी। जिसमें जेजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कर्तिकेय शर्मा और कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन के बीच मुकाबला है। दोनों ही पक्ष एक एक वोट के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस ने तो अपने पूरे विधायकों को ही रायपुर पहुँचा दिया है।
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बीजेपी-जेजेपी की कोशिश है कि उसके विधायक न टूटे और निर्दलियों को साथ मिलाकर कांग्रेस में सेंधमारी की जाए। इस चुनाव में सबसे बड़ धर्मसंकट किसी के साथ है तो वो इनेलो नेता अभय चौटाला है जोकि ऐलनाबाद से हाल ही में चुनाव जीते हैं। उनको हराने की पूरी कोशिश बीजेपी ने ऐलनाबाद विधानसभा चुनाव में की थी वो तो भला हो भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जिन्होंने कांडा और अभय दोनों को ही दोस्त बता दिया था नहीं तो अभय चौटाला ये चुनाव हार चुके थे। अब अभय इसी धर्मसंकट में फं स गए हैं कि उन्हें कांग्रेस को वोट देना चाहिए या बीजेपी-जेजेपी उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा क ो। बीजेपी चाहेगी की अभय चौटाला कार्तिकेय शर्मा को वोट करें। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अभय चौटाला के राजनैतिक संबंध कैसे भी हो। लेकिन निजी संबंध बहुत ही अच्छे हैं। मुख्यमंत्री अपने निजी संबंधों का हवाला देकर अभय चौटाला से कार्तिकेय शर्मा को वोट देने के लिए कह सकते हंै। 2016 के राज्यसभा चुनाव को याद किया जाए तो अभय चौटाला के उम्मीदवार आर के आनंद को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों ने यह कह कर वोट नहीं दिया था कि अभय चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक आधार एक ही है। दोनों खेमा जाट वोटों की राजनीति करता रहा है। अगर तब के राज्यसभा चुनाव की बात करे तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों ने यही सोचकर अभय चौटाला के उम्मीदवार आर के आनंद को हराया था। जोकि अभय चौटाला के सियासी राजनीति की सबसे बड़ी हार साबित हुई थी। लेकिन अभय चौटाला के साथ केवल यही धर्मसंकट नहीं है। उनका सबसे बड़ा धर्मसंकट जेजेपी है। कार्तिकेय शर्मा जेजेपी समर्थित उम्मीदवार हैं। जेजेपी और इनेलो का बैर कितना गहरा है।
ये अब किसी से छिपा नहीं है। भले ही अभय चौटाला को भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कई बार सियासी हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन इनेलो के अस्तित्व पर कभी भी कोई सवाल नहीं खड़ा हुआ। अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने तो इनेलो के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। वो पार्टी जिसके नाम के साथ देवीलाल और ओम प्रकाश चौटाला का नाम जुड़ा हो। जिस इनेलो ने हरियाणा को कई मुख्यमंत्री दिए हों वो आज हाशिए पर है और निसंदेह अभय चौटाला इन सभी का जिम्मेदार दुष्यंत और अजय चौटाला को मान सकते हैं।
अगर वो ऐसा मानते हैं तो उनके साथ फि र एक बड़ा धर्म संकट पैदा होगा जो उन्हें जेजेपी समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट करने नहीं देगा। गौर करने वाली बात है कि अजय चौटाला ने कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देते वक्त जेजेपी का उम्मीदवार बताया था। ऐसे में सवाल उठता है कि इतना कुछ होने बाद अभय चौटाला जेजेपी समर्थित उम्मीदवार को वोट करेंगे या फिर वो वही तर्क देंगे जो 2016 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यसभा चुनाव में दिया था कि इनेलो और कांग्रेस के उम्मीदवार का राजनीतिक आधार एक है। इसलिए वो इनेलो को वोट नहीं देंगे। इस तर्क को माने तो इनेलो और जेजेपी का आधार एक ही है। इसमें कोई संदेह नहीं की जेजेपी का उदय इनेलो की हार है तो इनेलो का उदय जेजेपी की हार । ये वो कारण है
जो अभय चौटाला को सोने नहीं दे रहे हैं। क्योंकि राज्यसभा के वोट हासिल करने के लिए बीजेपी सभी हथकंडे अपनाने की कोशिश करेगी। वो अभय चौटाला को ईडी और सीबीआई का भी डर दिखाएगी। आय से अधिक संपत्ति का मामला कोर्ट में वैसे ही चल रहा है। ये वो धर्मसंकट है जिससे इन दिनों अभय चौटाला गुजर रहे हंै। जहाँ वो वोट किसी को भी करें। वो उम्मीदवार भले ही जीत जाए। लेकिन वहाँ हार अभय चौटाला की ही हो रही है।
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