सत्यखबर, जींद, अशोक छाबड़ा
हरियाणा के गन्ने की मिठास से अब चीनी मिलों में गुड़ भी तैयार किया जाएगा। इसे कैथल और जींद के चीनी मिलों में तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। अगले सीजन से इन शुगर मिलों में गुड़ बनने लगेगा,इसको लेकर अधिकारियों की बैठक का आयोजन किया जा चुका है। चूकि पंजाब और यूपी में इस तरह से गुड़ का उत्पादन होता है। ऐसे में हरियाणा ने भी निर्णय लिया है कि गुड़ बनाया जाए। क्योंकि गुड़ की बाजार में डिमांड पहले की अपेक्षा लगातार बढ़ रही है। लोग चीनी के अलावा गुड़ को भी काफी तवज्जो देने लगे हैं। फिलहाल योजना बन रही है कि कितनी मात्रा में गुड़ तैयार किया जाएगा। क्योंकि पहले हरियाणा में बड़े स्तर पर कोल्हू में गुड़ बनाया जाता था,लेकिन समय के साथ कोल्हू बंद हो गए हैं। अब हरियाणा में यमुनानगर जिले के अलावा यूपी और पंजाब से गुड़ आता है। सरकार फसल विविधिकरण पर जोर दे रही है, हरियाणा में गन्ने का भाव देश में सबसे अधिक है। गन्ने से चीनी के अलावा गुड़ भी बनेगा। इससे कई तरह के उत्पाद बनेंगे। यानी गुड़ की भेली यानी पांच किलोग्राम तक की भेली बनाई जाएगी। यही नहीं छोटी पेड़ी भी तैयार होंगी। इसमें कई तरह की औषधीय वस्तुएं डाली जाएंगी, क्योंकि इनकी बाजार में काफी डिमांड है। फिलहाल कई कोल्हू इस तरह का गुड़ तैयार कर बाजार में या आवासीय इलाकों में काफी अच्छे रेट में बेचते हैं। पहले गुड़ को बड़े चाव से तैयार किया जाता था और उसे दूध या चाय बनाने के अलावा अन्य व्यंजन बनाकर खाते थे। सरकार की योजना है कि किसानों को धान या गेहूं के फेर से बाहर निकाला जाए। इसके लिए गन्ने का एरिया भी बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल प्रदेश में एक से सवा लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है, लेकिन पहले यह एरिया दोगुना तक हो गया था। अब गुड़ या चीनी बनाने के लिए सरकार किसानों को गन्ना उगाने के लिए प्रेरित करेगी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि प्रदेश के दो शुगर मिलों में गुड़ का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए योजना बनाई जा रही है। फिलहाल कैथल व जींद के शुगर मिलों में हो सकता है। पिछले साल की अपेक्षा अबकी बार चीनी का उत्पादन अधिक हुआ है।
कम हो गया गन्ने का एरिया
हरियाणा में वर्ष 1966 में 1.50 लाख हेक्टेयर में गन्ना उगाया जाता था,जो 20 साल बाद वर्ष 1986 में 1.26 लाख हेक्टेयर हो गया। जबकि 2006 में यह 1.41 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया था। जबकि वर्ष 2016-17 में यह घटकर महज 1.01 लाख हेक्टेयर रह गया था। वर्ष 1966 में हरियाणा में गन्ना 5100000 टन होता था। जबकि वर्ष 1977-78 में प्रदेश में गन्ने का एरिया 1.91 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा था। जबकि पिछले कई सालों में यह करीब एक लाख हेक्टेयर तक रह गया है।
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