सत्यखबर, चढ़ीगढ़
हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ के आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के उन 11 हजार कर्मचारियों का अनुबंध बढ़ा दिया है। ये कर्मी पिछले छह से आठ सालों से ठेकेदारों के मार्फत लगे हुए हैं। सरकार इन 11 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर उन्हेंं बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है। सर्व कर्मचारी संघ के विरोध के बाद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने महामारी के इस दौर में इन कर्मचारियों को तीन माह का सेवा विस्तार देते हुए 30 सितंबर तक काम पर रखने के निर्देश दिए हैं।
30 जून को होना था कार्यकाल खत्म, अब 30 सितंबर तक कर सकेंगे काम
इन 11 हजार कर्मचारियों में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत सिक्योरिटी गार्ड,सफाई कर्मचारी, वार्ड सरवेंट, चतुर्थ श्रेणी, प्लंबर, धोबी, लिफ्टमैन, बिजलीकर्मी और कंप्यूटर आपरेटर शामिल हैं। इन सभी का अनुबंध 30 जून को खत्म हो रहा था, लेकिन अब उन्हेंं 30 सितंबर तक काम करने की अनुमति मिल गई है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष सुभाष लांबा और महासचिव सतीश सेठी ने स्वास्थ्य मंत्री के इस प्रयास की सराहना की, लेकिन साथ ही कहा कि अभी इन कर्मचारियों पर लटकी छंटनी की तलवार खत्म नहीं हुई है। इसलिए इन सभी कर्मचारियों का अनुबंध तीन माह के लिए बढ़ाने की बजाय सरकार को इन सभी को पक्का करना चाहिए यानी पे रोल पर लिया जाए।
सुभाष लांबा व सतीश सेठी के अनुसार शहरी निकाय मंत्री के नाते अनिल विज अपने इस विभाग में ठेका प्रथा खत्म करने की पहल कर चुके हैं। उन्हेंं स्वास्थ्य विभाग में भी ठेका प्रथा खत्म करनी चाहिए, लेकिन जो कर्मचारी ठेके पर लगे हुए हैं, उन्हेंं नौकरी से निकालने की बजाय रोल पर लेकर उनका भविष्य सुरक्षित किया जाए। तभी इन कोरोना योद्धाओं को वास्तविक न्याय हासिल हो सकेगा। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में करीब 53 हजार मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ काम कर रहा है। इन 53 हजार में से 45 हजार अनुबंध पर लगें कर्मचारी हैं, जिससे पता चलता है कि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती और आम आदमी को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर है। इन 40 हजार अनुबंध कर्मचारियों में करीब 14 हजार एनएचएम व 11 हजार ठेकेदारों के मार्फत लगे ठेका कर्मचारी हैं और लगभग 20 हजार आशा वर्कर है। 11 हजार ठेका कर्मचारियों में करीब आठ हजार ठेका कर्मचारी पीएचसी, सीएचसी व जीएच में लगे हुए हैं और करीब तीन हजार पीजीआइएमएस व मेडिकल कॉलेजों में लगे हुए हैं।
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