सत्य खबर, चण्डीगढ़
प्रदेश सरकार जल्द ही निकाय चुनाव में दल बदल कानून लागू करने की तैयारी कर रही है। प्रमुख हिंदी समाचार पत्र की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। अभी प्रदेश में लोकसभा, में ही यह कानून लागू है। यदि यह कानून निकाय चुनाव पर लागू हो गया तो सभी पार्टियों की बड़ी टेंशन खत्म हो जाएगी।
दरअसल यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत उम्मीदवार द्वारा पार्टी बदलने पर उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है । इसका फैसले करने का अधिकार सदन के अध्यक्ष के पास होता है।
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बता दें कि फिलहाल तीन राज्यों के निकाय चुनावों में यह कानून लागू है। 1987 में सबसे पहले कर्नाटक में लागू किया । यहां तक कि कर्नाटक में तो पंचायत चुनाव में भी दल बदल नियम लागू है। 2015 में उड़ीसा में भी लागू हुआ और 2021 में हिमाचल में लागू हो चुका है।
हरियाणा में दलबदल कानून लागू नहीं है, जिसकी वह से पार्षद किसी भी पार्टी में उछल कूद कर सकते हैं । यही वजह है कि सरकार निकाय चुनाव में इतनी रुचि नहीं लेती और कई मेयरों के पद खाली पड़े रहते हैं।
इसके लागू होने के बाद पार्षद पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ सकता है। उसे किसी एक पार्टी को चुनना होगा या वह निर्दलीय भी लड़ सकता है। दल बदलने वाले पार्षदों के मामले संबंधित जिला उपायुक्त के पास जा सकते हैं। वहीं दल बदलने वाले निकाय चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं की परेशानी बढऩे वाली है। खासकर प्रदेश में अन्य दलों को छोडक़र आप में शामिल होने वालों को विशेष सावधानी बरतनी पड़ेगी।
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