चण्डीगढ़, महाबीर मित्तल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए निरंतर कार्यरत है। समाज में अंतिम पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे, यह प्रदेश सरकार की प्राथमकिता है। इसी शृंखला में सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा बुजुर्गों को पेंशन दी जाती है। प्रदेश में पिछले तीन साल में 4 लाख साठ हजार से अधिक बुजुर्गों की पेंशन शुरू की गई है यानि प्रतिमाह औसतन करीब 12000 बुजुर्गों को पेंशन से जोड़ा गया है। प्रदेश में वर्ष 2004 में 9.95 लाख लाभार्थियों को 300 रुपए बुढ़ापा पेंशन मिलती थी जिस पर 358 करोड़ रुपए का वार्षिक खर्च था। 2014 में 13.47 लाख बुजुर्गों को 1000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से बुढ़ापा पेंशन दी जाती थी, इस पर 1617 करोड़ रुपए खर्च होते थे। वर्ष 2022 में 17.45 लाख बुजुर्गों को 2500 रुपए मासिक पेंशन मिलती है, इस पर 5234 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो पिछले सात साल में पेंशन पर होने वाले खर्च को सरकार ने करीब साढे तीन गुणा कर दिया है.
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में 171026, 2020 में 129016, 2021 में 132758 और वर्ष 2022 में अब तक 27398 बुजुर्गों को बुढ़ापा पेंशन शुरू हुई है। ऐसे में देखा जाए तो प्रदेश में पिछले तीन साल में 460198 बुजुर्गों को पेंशन लगी है। इसकी औसत देखी जाए तो प्रतिमाह करीब 12000 बुजुर्गों को पेंशन से जोड़ा गया है। इस बीच, वर्ष 2019 से 2022 तक विभिन्न कारणों से 2,77,676 बुजुर्गों की पेंशन बंद की गई है। इनमें से 2,41,183 बुजुर्गों की पेंशन मृत्यु होने पर बंद की गई है। सरकार ने वृद्धावस्था सम्मान भत्ते को परिवार पहचान पत्र के साथ भी जोड़ दिया है। इससे यह भत्ता पाने के लिए लोगों को कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। व्यक्ति की आयु 60 वर्ष की होने पर उसकी वृद्धावस्था पेंशन खुद ब खुद लग जाएगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि प्रदेश में हर हकदार को पेंशन अवश्य मिलेगी।
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