सत्य खबर । हरियाणा
एनजीटी और प्रदूषण विभाग के नियमों को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से खनन माफिया ने यमुना की प्राकृतिक जलधारा को बदलने का प्रयास किया है। यमुना के बीचों-बीच अस्थाई बांध बनाई गई है। विभाग ने इस संबंध में माइनिंग कंपनी के खिलाफ एफआईआर कराई है। पिछले साल इस तरह के 12 मुकदमे दर्ज करवाए गए थे।
यमुनानगर में एक बार फिर यमुना की प्राकृतिक जलधारा को प्रभावित किया जा रहा है। माइनिंग का ठेका लेने वाली कंपनियों के कर्मचारी यमुना के बीचों-बीच अपनी सहूलियत के लिए अवैध बांध बनाते हैं। इससे यमुना की जलधारा प्रभावित होती है और उसका खामियाजा आसपास के इलाकों के किसानों को भुगतना पड़ता है। यमुना की जलधारा प्रभावित होने से जहां भूमि कटाव बढ़ता है, वहीं किसानों की करोड़ों की फसलें भी यमुना में समा जाती हैं।
पिछले साल यमुनानगर जिला के अलग-अलग इलाकों में माइनिंग कंपनियों के कर्मचारियों ने ऐसे 12 अवैध बांध बनाए थे। जिस पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए थे। अब यमुना की जलधारा को फिर से प्रभावित करने की सूचनाओं के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने यमुना के इलाकों का दौरा किया। उन्होंने पाया कि माइनिंग कंपनियों के कर्मचारियों ने फिर से यह प्रयास किया है। इस संबंध में सिंचाई विभाग ने एक मुकदमा दर्ज करवाया है।
आरटीआई कार्यकर्ता वरयाम सिंह एडवोकेट का कहना है कि यमुना से अवैध माइनिंग और प्राकृतिक धारा को बार-बार मोड़ा जा रहा है। अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं जबकि हकीकत अवैध बांध अभी भी कायम हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए और जितना नुकसान यमुना व सड़कों को पहुंचाया गया है उनकी भरपाई करवाई जानी चाहिए।
सिंचाई विभाग के सुपरिटडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल का कहना है कि इस सीजन में अभी तक एक मुकदमा दर्ज करवाया गया है। जबकि पिछले वर्ष पूरे सीजन में 12 एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। उनका कहना है कि विभाग के अलग-अलग अधिकारियों को इलाके दिए गए हैं जो बार-बार यमुना के इलाकों का दौरा करके अपनी रिपोर्ट देते रहते हैं।
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