सत्य खबर । पानीपत
आरटीआई से जिले की पांच तहसीलों में हुई रजिस्ट्रियों में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी का खुलासा हुआ है।ऑडिट में 12 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी की चोरी पकड़ी गई। 2018-19 और 2019-20 की ऑडिट में जिले की पांचों तहसीलों में 557 रजिस्ट्रियां ऐसी निकली, जिसमें किसी न किसी तरह से स्टाम्प ड्यूटी चुराई गई। शहरवासी सुमित राठी ने जब सरकार से आरटीआई के जरिये दो साल की जानकारी मांगी तो भ्रष्टाचार का पता चला।
अब उन्होंने सीएम विंडो पर शिकायत देकर तहसील कर्मचारियों के कार्रवाई की मांग की है। राठी ने कहा कि कहना कि रजिस्ट्री कराने वालों से ज्यादा बड़ा भ्रष्टाचार कर्मचारियों ने किया है। उन्होंने कहा कि तहसील में दलाल ऐसे नहीं घूमते हैं। इसलिए, सबसे अधिक कमी तहसील के कर्मचारियों की है। सबसे पहले कर्मचारियों पर केस दर्ज होना चाहिए और ब्याज लगाकर राशि वापस ली जाए।
जिले के पांचों तहसीलों में 557 रजिस्ट्रियों में 11.84 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी चुराई गई। इसमें सबसे अधिक पानीपत तहसील की है। इसके ऊपर पूरा प्रशासन बैठता है। तर्क बेशक यह दिया जा रहा हो कि इसमें तहसील कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है, लेकिन संदीप की शिकायत है कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार बिना कर्मचारियों के मिलीभगत के नहीं हो सकता। किस तहसील में कितनी रजिस्ट्रियों में कितनी स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई।
जानिए, कैसे होती है स्टाम्प ड्यूटी की चोरी
- अगर रजिस्ट्री में लिखा रहता है कि कंपनी जमीन बेच रही है और वह जमीन कृषि की दिखाई गई हो तो ऑडिटर इसको पकड़ लेता है।
- कभी रिहायशी को खाली प्लाॅट बताया गया होता है।
- कभी कॉमर्शियल को रिहायशी लिखा होता है।
- तो कभी कवर्ड एरिया कम दिखाया गया होता है।
पानीपत के नायब तहसीलदार मनोज कौशिक ने बताया कि रजिस्ट्री से पहले साइट देखने का कोई नियम नहीं है। यह तो किसी शिकायत या ऑडिट में जब गलती पकड़ी जाती है तो मामला जिला कलेक्टर के पास जाता है। इसके बाद साइट देखकर रिकवरी का फैसला लिया जाता है। इसमें तहसील कर्मचारियों की कोई गलती नहीं होती।
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